अस्थायी, तदर्थ और कांट्रेक्ट पर काम करने वाली महिलाकर्मी भी मातृत्व अवकाश की हकदार : CAT [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
24 Oct 2017 2:27 PM IST
सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ( CAT) ने एक अहम मामले में कहा है कि अस्थायी, तदर्थ और कांट्रेक्ट पर काम करने वाली महिलाकर्मी भी नियमित कर्मियों की तरह मातृत्व अवकाश व अन्य सुविधाएं पाने की हकदार हैं।
CAT ने ये भी कहा है कि तथ्य है कि अस्थायी, तदर्थ और कांट्रेक्ट कर्मी वो सुविधा नहीं पाते जो नियमित कर्मियों को मिलती है लेकिन मातृत्व अवकाश का मामला अलग है। इस फैसले से देशभर में काम कर रही लाखों महिलाओं को फायदा होगा।
दरअसल नई दिल्ली के वेस्ट पटेल नगर के राजकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय में गेस्ट टीचर के तौर पर काम करने वाली अनुराधा आर्य ने एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल एक्ट के सेक्शन 19 के तहत CAT में याचिका दाखिल कर कहा था कि उसे मैटरनिटी बैनिफिट एक्ट, 1961 के तहत मातृत्व अवकाश व अन्य लाभ देने के इंकार किया गया है। आर्य ने मौखिक रूप से ये भी कहा कि स्कूल प्रशासन द्वारा अवकाश देने से इंकार करने पर उसे छुट्टियां लेने पर मजबूर होना पडा और इसके लिए उसे बर्खास्त कर दिया गया।
CAT सदस्य प्रवीण महाजन ने अपने फैसले में कहा है कि दलीलों के आधार पर इस नतीजे पर पहुंचा जाता है कि कांट्रेक्ट पर काम करने वाली महिलाओं को पूरे वेतन के साथ मातृत्व अवकाश के लाभ से वंचित नहीं रखा जा सकता। इस नतीजे को सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का सहारा मिला है। इसलिए आवेदनकर्ता मैटरनिटी बैनिफिट एक्ट, 1961 के सेक्शन पांच के तहत सभी लाभ पाने की हकदार है। इसी के साथ प्रतिवादी को आवेदक को पहले के करार पत्र दिनांक 07.07.2015 के तहत फिर से गेस्ट टीचर के तौर पर रखे और 01.12.2015 से लेकर अर्जी पर सुनवाई पूरी होने तक 2015-2016 तक का पूरा भत्ता वापस करे।
वहीं इस दौरान स्कूल का कहना था कि नियमों के मुताबिक 6 महीने वेतन के साथ मातृत्व अवकाश सिर्फ नियमित कर्मियों को मिल सकता है ना कि अस्थायी, तदर्थ और कांट्रेक्ट कर्मियों को।
आर्य के वकील अमित के पटेरिया ने जोर दिया कि इस मामले में विधान के मुताबिक दूसरे गर्भ तक आवेदक मातृत्व लाभ पाने की हकदार है। ये महिला का पहला गर्भ है और उसने पहली बार इसके लिए आवेदन किया था। उन्होंने कहा कि ऐसे में तदर्थ कर्मियों को इस लाभ से अलग नहीं रखा जा सकता और प्रतिवादियों का ये रवैया संविधान के अनुच्छेद 42 का उल्लंघन है।
CAT ने ये भी कहा कि तथ्य है कि अस्थायी, तदर्थ और कांट्रेक्ट कर्मी वो सुविधा नहीं पाते जो नियमित कर्मियों को मिलती है लेकिन मातृत्व अवकाश का मामला अलग है।
CAT ने कहा कि मुद्दे पर अदालतों का एक रुख रहा है। ये भी सही है कि कांट्रेक्ट कर्मियों को नियमित कर्मियों के बराबर नहीं रखा जा सकता। तदर्थ कर्मियों को दिए जाने वाले लाभ जरूरी तौर पर नियमित कर्मियों से अलग होते हैं। इसी तरह 31-8-2015 को प्रतिवादियों के आवेदन खारिज करने के पीछे यही सोच है। हालांकि तदर्थ कर्मी को अन्य तरीके के लाभ का दावा करने का अधिकार नहीं है लेकिन महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश व लाभ मिलना चाहिए चाहे वो अस्थायी, तदर्थ हो या कांट्रेक्ट कर्मी।
CAT ने इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट के 2000 (3) SCC 224 में दिल्ली नगर निगम बनाम महिलाकर्मी व अन्य मामले में फैसले को आधार बनाया है जिसमें कहा गया कि महिला जो समाज का आधा हिस्सा हैं, कार्य करने के स्थान पर उनके साथ सम्मान और गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए। महिला की जिंदगी में मां बनना सबसे प्राकृतिक प्रक्रिया है। बच्चा पैदा करने के लिए सेवारत महिला की मदद के लिए नियोक्ता को सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए और उन शारीरिक दिक्कतों को समझना चाहिए जो महिला गर्भ में बच्चे के साथ या बच्चे के जन्म के बाद कार्यस्थल पर सहती है।
आर्य ने 15 सितंबर 2014 को स्कूल में नौकरी शुरु की थी और जुलाई 2015 में उसकी नियुक्ति का नवीनीकरण किया गया था। उस वक्त गर्भावस्था प्रारंभिक चरण में थी। प्रिंसिपल ने उसकी मातृत्व अवकाश की अर्जी को नामंजूर कर दिया। इसके बाद उसने स्कूल प्रशासन को कई ज्ञापन दिए।
डॉक्टर ने उसे पूरी तरह आराम करने की सलाह दी थी और प्रशासन के जवाब का इंतजार करने के बाद मातृत्व अवकाश पर जाने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं बचा। उसे ये भी चिंता थी कि सत्र खत्म हो रहा है और ऐसे में 2016-2017 सत्र के लिए तदर्थ शिक्षकों की नियुक्तियां होंगी।