शादीशुदा महिला पति की जाति के आधार पर सुरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती : बॉम्बे हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
24 Oct 2017 10:20 AM IST
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि कोई शादीशुदा महिला अपने पति की जाति के आधार पर सुरक्षित सीटों से चुनाव नहीं लड़ सकती। हाई कोर्ट ने वाल्सम्मा पॉल बनाम कोच्चि विश्वविद्यालय एवं अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले के आधार पर यह फैसला सुनाया है।
न्यायमूर्ति वासंती नाइक और न्यायमूर्ति रियाज चागला की खंड पीठ अनुराधा काकर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जो कि शोलापुर नगर निगम में पार्षद का चुनाव जीती थी। यह सीट अन्य पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित है।
चुनाव का पर्चा भरने के दौरान याचिकाकर्ता ने ‘तम्बत’ जाति के होने का दावा किया था जो कि अन्य पिछड़ी जाति में आता है। लेकिन यह उसके पति की जाति है, उसके पिता की नहीं।
इस सीट से अनुराधा फरवरी 2017 में जीती। इसके बाद संभागीय जाति जांच समिति ने उसको अपने पिता की जाति से संबंधित प्रमाणपत्र सौंपने को कहा। उसने ऐसा किया। उसके पिता की जाति लोहार एनटी है। इसके बाद 10 मार्च को राज्य चुनाव आयोग ने मंत्रालय के शहर योजना प्रबंधन को लिखा कि अनुराधा का चुनाव पिछले प्रभाव से रद्द कर दिया जाए।
हालांकि, जांच समिति के सदस्यों की अनुपलब्धता के कारण आवेदनकर्ता की जाति से संबंधित दावे के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। इसकी वजह से अनुराधा ने इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता के वकील एबी तजाने ने कोर्ट में कहा कि इसके बावजूद कि उसके मुवक्किल ने अपने पति की जाति के आधार पर चुनाव लड़ा, उसने समिति के आदेश को मानते हुए अपने पिता की जाति से संबंधित प्रमाणपत्र सौंपा। इसलिए आवेदनकर्ता को महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम की धारा 5B के तहत अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता।
एजीपी एपी वनारसे ने अपनी दलील में कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित क़ानून में यह स्पष्ट है कि आवेदनकर्ता अपने पति की जाति के आधार पर चुनाव नहीं लड़ सकती जो कि ओबीसी के तहत तम्बत जाति का है।
वाल्सम्मा पॉल बनाम कोच्चि विश्वविद्यालय मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा, “यह स्पष्ट है कि कोई विवाहित महिला अपने पति की जाति के आधार पर अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती”।
इस तरह कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का चुनाव गलत है और उसने उसकी याचिका खारिज कर दी।