सभी अंतरधार्मिक विवाह को लव जेहाद या घर वापसी की संज्ञा नहीं दी जा सकतीः केरल हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

20 Oct 2017 10:19 AM GMT

  • सभी अंतरधार्मिक विवाह को लव जेहाद या घर वापसी की संज्ञा नहीं दी जा सकतीः केरल हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    सभी अंतरधार्मिक शादियों को धार्मिक नजरिये से नहीं देखा जा सकता क्योंकि इससे धार्मिक सौहार्द को नुकसान होगा। यह केरल हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है।

    कोर्ट ने कहा कि तमाम अंतरधार्मिक विवाह को लव जेहाद नहीं कहा जा सकता। उसे लव जेहाद के नजर से नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने एक हिंदू युवती और एक मुस्लिम युवक के बीच शादी को बरकरार रखा है।

    केरल हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति वी.चितंबरेश और न्यायमूर्ति सतीश निनान की खंडपीठ ने कन्नूर के श्रुति और अनीस हमीद की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

    हाई कोर्ट ने कहा कि हर अंतरधार्मिक विवाह को लव जेहाद या घर वापसी की नजर से देखे जाने की प्रवृत्ति पर वे चकित हैं। खंडपीठ ने हिंदू महिला और मुस्लिम युवक की शादी से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान गुरुवार को यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि इस राज्य में अंतरधार्मिक विवाह के हर मामले को ‘लव जिहाद’ या ‘घर वापसी’ से जोड़ने की कोशिश हो रही है, भले ही ऐसे मामलों में पति-पत्नी के बीच सच्चा प्यार ही क्यों न हो। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के 2004 के एक फैसले का हवाला दिया कि लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़े मामले में शीर्ष अदालत ने अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहों को प्रोत्साहित करने की ज़रूरत पर बल दिया था। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने इस विवाह को भी सही ठहराया।

     यह मामला केरल के कन्नूर जिले का है। यहाँ की एक लड़की बीते 16 मई को एक मुस्लिम युवक के साथ घर से भाग गई थी। इस पर लड़की के घरवालों ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज़ कराई। पुलिस ने एक महीने बाद दोनों को हरियाणा के सोनीपत से ग़िरफ्तार किया। शुरुआत में निचली अदालत ने लड़की को उसके माता-पिता के पास भेजने का आदेश दिया। इसके बाद उसके माता-पिता ने लड़की को एर्नाकुलम जिले के एक योग केंद्र में भर्ती करा दिया। यहाँ दूसरे धर्म में शामिल हो चुके लोगों को ‘घर वापसी’ के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। इसी दौरान निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया। वहाँ 18 अगस्त को एकल पीठ के सामने लड़की को पेश किया गया जहाँ लड़की ने अपने माता-पिता के साथ ही रहने की इच्छा ज़ताई  लेकिन जब मामला दो जजों की खंडपीठ के सामने पहुंचा तो उसने बयान बदल दिया। हाई कोर्ट में युवती ने आरोप लगाया कि योग केंद्र में उसे प्रताड़ित किया गया। अदालत में चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान दोनों ने शादी कर ली। खंडपीठ ने युवती की हिम्मत की दाद देते हुए उनकी शादी को बरकरार रखा है।

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