Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

घरेलू हिंसा क़ानून और धारा 125 के तहत मिलने वाली गुजारा राशि दोनों एक दूसरे से अलग: बॉम्बे हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
17 Oct 2017 10:19 AM GMT
घरेलू हिंसा क़ानून और धारा 125 के तहत मिलने वाली गुजारा राशि दोनों एक दूसरे से अलग: बॉम्बे हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
x

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता देने का आदेश और घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत गुजारा भत्ता देने का आदेश दोनों ही एक-दूसरे से स्वतंत्र अस्तित्व रखते हैं। कोर्ट ने इस बारे में उठाए गए प्रश्न के संदर्भ में यह बात कही।

 मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता पत्नी ने धारा 125 के तहत 2010 में एक याचिका दायर की थी जिस पर 20 जनवरी 2016 को फैसला सुनाया जाना था। कोर्ट ने इस याचिका को दायर करने की अनुमति दी थी और इस पति को हर माह पत्नी को 6000 रुपए और बेटी को 4000 रुपए देने का आदेश दिया था। धारा 125 के तहत जब दायर याचिका लंबित थी, घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत 2012 को एक याचिका दायर कर अंतरिम राहत की मांग की गई। इसकी आंशिक रूप से अनुमति 26 जुलाई 2012 को दी गई और पति से कहा गया कि वह पत्नी को 8000 और बेटी को 5000 रुपए दे।

घरेलू हिंसा क़ानून के तहत गुजारा भत्ता देने का आदेश पारिवारिक अदालत को निर्देशित किया गया, पर धारा 125 के तहत सुनवाई के दौरान अदालत ने यह नोट किया कि पति यह राशि पहले से दे रहा है लेकिन यह कहीं नहीं कहा कि धारा 125 के तहत दिया गया आदेश घरेलू हिंसा क़ानून के तहत दिए गए आदेश का स्थान लेगा।

 अंतिम फैसला

घरेलू हिंसा क़ानून की धारा 20 (1) के अनुसार-

'घरेलू हिंसा कानून के तहत मजिस्ट्रेट पीड़ित और उसके बच्चे को (अगर कोई है तो) गुजारे की राशि देने का आदेश प्रतिवादी को दे सकता है। यह आदेश सीआरपीसी की धारा 125 के तहत या इसके अलावा तत्काल प्रभावी किसी क़ानून के तह दिया जा सकता है’।

इस क़ानून की धारा 36 के अनुसार-

‘घरेलू हिंसा क़ानून के प्रावधान उस समय लागू किसी अन्य क़ानून के अतिरिक्त होगा।’

कोर्ट ने कहा-

“...ऐसा लगता है कि घरेलू हिंसा क़ानून के तहत जो राशि देने का आदेश दिया गया है वह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारे भत्ते के आदेश के बदले नहीं हो सकता”। इसके आगे कोर्ट ने कहा कि धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता देने के आदेश के खिलाफ पति ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर किया हुआ है और इसे 25 जुलाई 2016 को खारिज कर दिया गया। इस याचिका में कहा गया था कि चूंकि याचिकाकर्ता पति घरेलू हिंसा क़ानून के तहत पहले से ही गुजारा भत्ता दे रहा है तो फिर धारा 125 के तहत भी उसे यही करने को नहीं कहा जा सकता। पर हाई कोर्ट ने इस दलील को सीधे नकार दिया।



Next Story