नजीब मामले की जांच पर कोर्ट का सीबीआई के खिलाफ कड़ा रुख

LiveLaw News Network

17 Oct 2017 8:05 AM GMT

  • नजीब मामले की जांच पर कोर्ट का सीबीआई के खिलाफ कड़ा रुख

    देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब जंग का पता लगाने में असमर्थ रहने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई की खिंचाई की है।

    जेएनयू में एमएससी प्रथम वर्ष के 27 वर्षीय छात्र नजीब की 14 अक्टूबर 2016 की रात को तथाकथित रूप से एबीवीपी के तीन छात्रों से कहासुनी हो गई थी। और इसके अगले दिन से उसका कोई अतापता नहीं है।

    दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने अपनी टिपण्णी में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “इस मामले की स्थिति रिपोर्ट में कुछ भी नहीं है...इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है। किसी भी तरह की कोई रिपोर्ट इस मामले में नहीं आया है। किसी भी तरह का कोई परिणाम नहीं निकला है...”।

    सीबीआई ने न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति चंदर शेखर की पीठ के समक्ष सोमवार (16 अक्टूबर) को स्टेटस रिपोर्ट पेश की। पीठ ने स्थिति रिपोर्ट में दिए गए कॉल संबंधी रिकॉर्ड और संदेशों का संज्ञान लेते हुए इसमें और कोर्ट के समक्ष मौखिक रूप से दिए गए बयानों में मौजूद विरोधाभासों की ओर इशारा किया। पीठ ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि संदिग्धों के कॉल संबंधी रिकॉर्ड और संदेशों का विश्लेषण किया जा रहा है जबकि सीबीआई के वकील ने कहा कि इनका विश्लेषण किया जा चुका है।

    पीठ ने इस बात पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की जब उसे बताया गया कि इस स्थिति रिपोर्ट को सीबीआई के इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी ने तैयार किया है।

    कोर्ट ने कहा कि अपने एक पूर्व आदेश में उसने कहा था कि इस मामले की तहकीकात डीआईजी स्तर से कम का अधिकारी नहीं करेगा। पीठ ने पूछा, “यह किस तरह की जांच हो रही है?...इंस्पेक्टर ने रिपोर्ट में क्या कहा है क्या डीआईजी उसको पढ़ता है? शायद उसको रिपोर्ट पढ़ने का समय नहीं मिलता...उसे यहाँ बुलाओ और इसे पढ़ने को कहो...”। कोर्ट ने चेतावनी दी कि वह डीआईजी को कोर्ट में उपस्थित रहने को कहेगा।

    पीठ ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष एक आवेदन देकर इस मामले की सुनवाई करने और नौ संदिग्ध छात्रों के पोलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति ले। इस मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को होनी है।

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