48 घंटे में एंबी वैली का कब्जा दे महाराष्ट्र पुलिस, सुप्रीम कोर्ट का आदेश, नीलामी के लिए सामने नहीं आया खरीदार
LiveLaw News Network
12 Oct 2017 7:48 PM IST
सेबी सहारा विवाद मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र के डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि 48 घंटों के भीतर एंबी वैली का कब्जा आफिसियल लिक्विडेटर को सौंपें। कोर्ट ने कहा है कि लिक्विडर, कंपनी जज और हाई कोर्ट के जस्टिस ओका की निगरानी में एंबी वैली की नीलामी करेंगे।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा कि अगर कोई भी इस प्रक्रिया में बाधा डालेगा तो कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई होगी।वहीं सेबी ने कोर्ट को बताया कि नीलामी के लिए कोई बोली लगाने वाला सामने नहीं आया है।
10 अक्तूबर को एंबी वैली की नीलामी के दिन ही सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और अन्य निदेशकों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाने की गुहार लगाई थी।
मंगलवार को सेबी की ओर से प्रताप वेणुगोपाल ने जस्टिस रंजन गोगोई को बताया कि सहारा एंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया में अडंगा डाल रहे हैं। उन्होंने अवमानना की याचिका दाखिल की है जिस पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए। जस्टिस गोगोई ने कहा कि वो इस बारे में चीफ जस्टिस और जस्टिस एके सिकरी से बात करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में SEBI ने कहा है कि एंबी वैली लिमिटेड ने नीलामी से कुछ दिन पहले ही ताला लगा दिया और पुलिस को लिखा कि पुलिस एंबी वैली की सुरक्षा करे क्योंकि इसके लिए कंपनी के पास पैसे नहीं हैं। इसके बाद पुलिस ने एंबी वैली की सुरक्षा का जिम्मा संभाल लिया है। इसकी वजह से नीलामी प्रक्रिया में रुकावट आ गई है। इसलिए सहारा प्रमुख और 6 निदेशकों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि 11 सितंबर को सहारा- सेबी विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 10 और 11 अक्टूबर को ही एंबी वैली की नीलामी होगी। सहारा समूह को किसी तरह की रियायत देने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऑफिशियल लिक्विीडेटर द्वारा एंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया पर बदलाव करने से इंकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी सहारा मामले में अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि एंबी वैली की नीलामी की प्रक्रिया जारी रहेगी। कोर्ट ने कहा था कि सहारा प्रमुख को नवंबर के दो महीने पोस्ट डेटेड चेक के लिए वक्त दिया जाना कानून का मखौल उडाना होगा। अगर उनकी बात मानी गई तो ये संदेश जाएगा कि कानून का पालन ना करने वालों के साथ सहानुभूति बरती जा रही है।
तय प्रक्रिया के मुताबिक 10 और 11 अक्टूबर को मुंबई में एंबी वैली की नीलामी होनी थी। 17 अक्टूबर को नीलामी में अधिकतम बोली लगाने वालों को ई-मेल से जानकारी दी जाएगी।सफल बोलीकर्ता को 16 जनवरी 2018 तक पूरी रकम जमा करानी होगी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सहारा को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर सहारा प्रमुख ये सोचते हैं कि वो कानून के साथ खेल सकते हैं तो वो तो वो गलत इंप्रेशन में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट कोई प्रयोगशाला नही है जहाँ बच्चे खेलने आते है। कोर्ट ने कहा सहारा प्रमुख कोर्ट को एक प्रयोगशाला की तरह ट्रीट कर रहे है। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि वेंटिलेटर पर कोई अधिक दिन पर नहीं रह सकता।
हालांकि सुनवाई के दौरान सहारा प्रमुख सुब्रत राय की ओर से दलील दी गई थी कि 24000 करोड़ की राशि मे से करीब 16 हजार करोड़ रुपये जमा करा चुके है। अब 8657 करोड़ बाकी है। उक्त राशि को जमा करने के लिए 2 महीने का समय दिया जाए। हालांकि सेबी ने इसका विरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी सहारा मामले में अंतरिम आदेश देते हुए कहा था कि एंबी वैली की नीलामी की प्रक्रिया जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नीलामी के वक़्त बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जरनल नीलामी के जगह यानी मुम्बई में व्यक्तिगत तौर पर मौजूद रहेंगे। एंबी वैली की नीलामी होने के दौरान कोई पक्ष मामले की सुनवाई की मांग कर सकता है।
सोमवार को सहारा सेबी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख की नीलामी की प्रक्रिया पर रोक लगाने की याचिका खारिज की थी और कहा था कि 14 अगस्त को ही नीलामी का पब्लिक नोटिस जारी होगा।
10 अगस्त को एंबी वैली की नीलामी रोकने के लिए सहारा प्रमुख सुब्रत राय की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। सहारा ने अपनी याचिका में कहा था कि एंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया फिलहाल रोकी जाए क्योंकि रुपये वापस करने के लिए वो किसी और प्लान पर काम कर रहे हैं।
दरसअल 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख को 11 सितंबर तक 1500 करोड़ रुपये जमा कराने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा एंबी वैली प्रॉपर्टी के नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू हो। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने बकाया 9017 करोड़ चुकाने के लिए डेढ़ साल का समय मांगा था।