सुप्रीम कोर्ट ने 10 नामों में से 6 को मद्रास हाई कोर्ट के जज के तौर पर कन्फर्म किया, चार महिला जज भी शामिल [अनुशंसा पढ़े]

LiveLaw News Network

7 Oct 2017 2:09 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने 10 नामों में से 6 को मद्रास हाई कोर्ट के जज के तौर पर कन्फर्म किया, चार महिला जज भी शामिल [अनुशंसा पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने 10 जूडिशियल ऑफिसरों में से 6 का नाम मद्रास हाई कोर्ट के जज के तौर पर कन्फर्म कर दिया है। इन नामों की सिफारिश मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने की थी। इनमें से 4 नामों को रिजेक्ट किया गया क्योंकि आईबी की रिपोर्ट विपरीत थी। इन नामों के बारे में हाई कोर्ट कॉलिजियम ने ओवरलुक कर दिया था।

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे. चेलामेश्वर और जस्टिस रंजन गोगोई ने 6 नामों पर सहमति दे दी जिसमें चार महिला जज भी शामिल हैं इन्हें मद्रास हाई कोर्ट का जज बनाया जाएगा।

    हाई कोर्ट कॉलिजियम ने छह नामों को दो लिस्ट के जरिये सुप्रीम कोर्ट को भेजी थी। इन 10 नामों में एस. रामाथिलागम, पी. राजामानिकम, एस. थरानी, एनवी वासुदेवन, टी. कृष्णावली, बी. सरोजिनी देवी, ए. जाहिर हुसैन, आर. पोंगिपन, आर. हेमलाता और के. अरुल का नाम था। सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने इनमें से जिन नामों को फाइनल करते हुए मंजूरी दी है उनमें टी. कृष्णावाली, आर. पोंगीपन. आर. हेमलाता, एस. रामाथिलागम, आर. थरानी औऱ पी. राजामानिकम शामिल है।

    सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने इन नामों को पब्लिक कर दिया है। जूडिशियल ऑफिसर बी. सोरिजिनी देवी के नाम पर सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने विचार करने पर टाल दिया। इसके लिए कारण बताया गया है कि उनके मामले में जांच जारी है। इस बारे में मद्रास हाई करोर्ट के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट मांगी गई है कि जांच में क्या रिपोर्ट आई है।

    कॉलिजियम ने कहा कि दो नामों को इसलिए रिजेक्ट किया गया कि इनके बारे में आईबी की रिपोर्ट निगेटिव थी।

    सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने उन नामों पर भी विचार किया जिसके बारे में कहा गया था कि उनके नामों की सिफारिश नहीं की गई। ऐसे सीनियर जूडिशियल ऑफिसरों की संख्या काफी ज्यादा थी जिनके नामों को हाई कोर्ट के जज के लिए विचार नहीं किया गया और नामों की सिफारिश नहीं की गई। इन लोगों ने इसके लिए अपना रिप्रजेंटेशन भी दिया था कि हाई कोर्ट कॉलिजियम ने नामों को ओवरलुक किया है। इसके लिए मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का लिखा 30 जनवरी 2017 के लेटर को सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने देखा और उसमें बताया गया है कि क्यों उन नामों की सिफारिश नहीं की गई और उसके लिए पर्याप्त आधार बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में उन तमाम रिप्रजेंटेशन को खारिज किया जाता है क्योंकि उसमें मेरिट नहीं है।


     

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