जश्न में फायरिंग को लेकर दिल्ली के चाय वाले ने शुरू की बडी मुहिम, बेटी के इंसाफ की लडाई को बदला कानूनी आंदोलन में [याचिका और पत्युत्तर पढ़े]

LiveLaw News Network

7 Oct 2017 6:56 AM GMT

  • जश्न में फायरिंग को लेकर दिल्ली के चाय वाले ने शुरू की बडी मुहिम, बेटी के इंसाफ की लडाई को बदला कानूनी आंदोलन में [याचिका और पत्युत्तर पढ़े]

    47 साल के चाय विक्रेता श्याम सुंदर कौशल ने समाज से एक बडी बुराई को जड से उखाडने का बीडा उठाया है। शादी व समारोह में जश्न के दौरान फायरिंग पर कडा कानून बनाने की मांग को लेकर श्याम सुंदर ने एक मुहिम शुरु की है। एक साल पहले ऐसे ही एक जश्न के दौरान चली गोली ने उसकी 17 साल की लाडली बेटी को छीन लिया था।

    श्याम सुंदर कहते हैं, ‘ मेरी चाय की दुकान है। मैं बस ये चाहता हूॉ कि किसी की जान इस तरह फायरिंग में ना जाए।श्याम चाहते हैं कि जश्न के दौरान फायरिंग करने पर कडा कानून बने और सजा के कडे प्रावधान हों।

    13 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर जश्न के दौरान फायरिंग करने पर  रोक लगाने के लिए प्रभावी पालिसी तैयार करने को कहा था। ये आदेश कौशल के वकील आकाश वाजपेयी द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करने के बाद जारी किए गए। आकाश ने मेसेडोनिया के एक पोस्टर से नारा भी लिया था जिसमें लिखा था, ‘ बुलेटस आर नॉट ग्रीटिंग कार्डस। सेलीब्रेट वेडिंग विदआअट वैपन। ‘

    दरअसल श्याम सुंदर की बेटी अंजली कौशल अपनी दो छोटी बहनों के साथ 16 अप्रैल 2016 को उत्तर पश्चिम दिल्ली के मंगोलपुरी कलां में पत्थर बाजार स्थित अपने घर की बालकनी से पडोसी अमन की बारात को देख रही थी। उस वक्त उनकी मां बाजार गई थी और श्याम चाय की दुकान पर था। सभी एक बच्चा भागते हुए उसके पास पहुंचा और बताया कि अंजली को पटाखा लगा है।

    अंजली को अस्पताल ले जाया गया और सीटी स्कैन से पता चला कि उसे गोली लगी है। दो दुन बाद उसने दम तोड दिया। पुलिस ने श्याम को बताया कि बारात में से किसी ने हवा में गोली चलाई जो अंजली को लगी। इसके बाद श्याम सुंदर ने जनहित को देखते हुए इस मामले में हाईकोर्ट जाने का फैसला किया।

    श्याम सुंदर की सच्चाई के लिए लडाई- जनहित याचिका

    इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के एक साल बाद श्याम ने अपने वाटसएप पर प्रोफाइल में ‘ जस्टिस फॉर अंजली कौशल’ की तस्वीर लगाई है।

    वहीं पुलिस ने इस मामले में एक हिस्ट्रीशीटर विक्की उर्फ विक्रांत को आरोपी बनाते हुए के खिलाफ नामजद FIR की, वहीं श्याम ने शादी वाले परिवार या पुलिस के दबाव में झुकने से इंकार कर दिया।

    श्याम सुंदर के मुताबिक एक साल से ज्यादा वक्त बीत गया लेकिन अभी भी अंजली को न्याय का इंतजार है। इस मामले में प्रधानमंत्री से लेकर एनएचआरसी तक तो चिट्ठी लिखी गई और केस अपराध शाखा को ट्रांसफर किया गया लेकिन सब बेकार साबित हुआ। बस उसे इतना ही बताया गया है कि विक्रांत मामले में आरोपी है। श्याम कहता है ,’ मैं अपनी बेटियों को क्या ये सिखाऊं कि झूठ बोलने से न्याय मिलेगा। ‘

    पिछले साल बेटी की मौत के कुछ वक्त बाद वकील आकाश वाजपेयी से मदद मांगी गई और उन्होंने परिवार की ओर मदद का हाथ बढाया। श्याम के मुताबिक एक साल से वो न्याय पाने के लिए धक्के खा रहे हैं और अभी तक सिर्फ पीडा ही मिली है। इस दौरान ऐसी कुछ घटनाएं हुईं तो उन्होंने आकाश वाजपेयी के साथ हाईकोर्ट जाने का फैसला किया ताकि ऐसा किसी ओर परिवार के साथ ना हो।

    जश्न के दौरान फायरिंग अनुच्छेद 21 के खिलाफ

    वकील वाजेपयी कहते हैं कि आजकल लाइसेंसी हथियारों को लेकर लोग शादी समारोह, धार्मिक स्थलों व अन्य जगहों पर जाते हैं ताकि वो समाज में अपने रुतबे को दिखा सकें। ये आम लोगों में आतंक फैलाने के समान है। अनुच्छेद 21 में जीने के अधिकार में गरिमा से जीवन जीने का अधिकार भी शामिल है। अगर किसी तो आतंकमुक्त जीवन नहीं मिलेगा तो गरिमा के साथ ये समझौता होगा। उन्होंने जनहित याचिका में इस ‘सिविल आतंकवाद ‘ से निपटने के लिए कई उपाय भी सुझाए हैं। उनका कहना है कि आर्म्स एक्ट , 1959 के मुताबिक हथियार किसी की जान लेने के लिए या स्टेटस सिंबल के लिए नहीं बल्कि आत्मरक्षा के लिए हैं। जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी एक याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि आजकल हथियार रखना स्टेटस सिंबल बन गया है और लोग अपना रुतबा दिखाने के लिए हथियार रखते हैं।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजीव कुमार बनाम यूपी और एमपी सरकार, 2011 ( 88 ALR140) में कहा है कि आत्मरक्षा, सुरक्षा के लिए दिए गए हथियार को शादी या किसी अन्य समारोह में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

    कदम उठाने के लिए कुछ सुझाव




    • ये सुनिश्चित किया जाए कि जश्न के दौरान फायरिंग की कोई भी घटना कार्रवाई से ना छूटे और कोई सजा से ना बच पाए।

    • लाइसेंसी अथॉरिटी को निर्देश दिए जाएं कि जश्न में फायरिंग करने पर हथियार का लाइसेंस रद्द किया जाए।

    • शादियों/ रिसेप्शन में हथियारों के इस्तेमाल पर पाबंदी को लेकर कानून बनाया जाए क्योंकि स्वतंत्र समाज में, यहां तक कि हमारी आजादी की संवैधानिक योजना में भी अनुच्छेद 19 (1)(b) के तहत हथियार के साथ इकट्ठे नहीं हुआ जा सकता। इसमें कहा गया है कि सभी नागरिकों को शांतिपूर्वक व बिना हथियार इकट्ठा होने का अधिकार होगा।

    • नए कारतूस खरीदने के लिए सीमा तय की जाए और इसके लिए इस्तेमाल कारतूसों की जांच हो।

    • किसी समारोह में फायरिंग होने पर आयोजनकर्ता पर कडी जवाबदेही तय की जाए।

    • जश्न में फायरिंग करने को गैर जमानतीय अपराध बनाया जाए जिसमें जेल की सजा हो और दोषी पीडित या उसके परिजन को पर्याप्त मुआवजा दे।

    • लाइसेंस धारण करने वाले व्यक्ति की मौत या 70 साल की उम्र के बाद लाइसेंस तो उसके उत्तराधिकारी के नाम ट्रासंफर करने के सिद्धांत को खत्म किया जाए। हथियार उत्तराधिकार की वस्तु नहीं है।


     जश्न के दौरान फायरिंग की कुछ घटनाएं

    31 मई 2010 : पश्चिम दिल्ली में शादी समारोह के दौरान फायरिंग में 40 साल के इलेक्ट्रानिक्स उपकरण दुकान मालिक की मौत

    30 जून 2010 : बाहरी दिल्ली के शाहबाद गांव में बारात के दौरान कुछ लोगों द्वारा फायरिंग से 12 साल का बच्चा जख्मी हुआ। बारात हरियाणा के झज्जर इलाके से आई थी।

     17 दिसंबर 2011 :  पश्चिम दिल्ली के  जाफरपुर कलां में शराब के नशे में शादी वालों ने हवा में 25 राउंड फायरिंग की जिसमें दसवी कक्षा के छात्र शिवम के गले में गोली लगी। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया।

    26 नवंबर 2012: मुंडका में शादी के दौरान युवक ने अपने अंकल की पिस्तौल से जश्न में गोली चलाई जो दुर्घटनावश उसकी 12 साल की चचेरी बहन को लग गई।




    Next Story