मनरेगा फंड में गबन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network

7 Oct 2017 10:13 AM IST

  • मनरेगा फंड में गबन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब [याचिका पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने मनरेगा के फंड में भ्रष्टाचार और दस करोड रुपये के गबन करने के मामले की सीबीआई से जांच कराने की याचिका पर कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आरोप लगाया गया है कि चामराजनगर जिले के कोलिगल में वाटरशेड डवलपमेंट विभाग के अफसरों ने ये हेराफेरी की।

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानवेलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने बंगलूरू निवासी के एन सोमाशेखर की याचिका पर ये कदम उठाया। सोमाशेखर ने जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ की रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। इसके अलावा कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा इस रिपोर्ट को स्वीकार करने को भी चुनौती दी गई थी।

    प्रशांत भूषण के माध्यम से दाखिल याचिका में सोमाशेखर ने आगे कहा कि हाईकोर्ट कृषि विभाग के सहायक निदेशक की रिपोर्ट पर विचार करने में नाकाम रहा है। सहायक निदेशक ने तालुक कृषि अफसर के दफ्तर में निरीक्षण करने पर मनरेगा योजना के लागू करने में इरादतन कुप्रबंधन, दुरुपयोग और अनियमितताएं पाई थीं। कैशबुक का रखरखाव भी नहीं था। यहां तक कि 26 जून 2012 से 7 नवंबर 2012 के बीच रुपये भी निकलवाए गए थे।

    याचिका में कानून के कुछ सवाल भी उठाए गए हैं




    1. क्या हाईकोर्ट और लोकायुक्त किसी मामले की अंतरिम जांच रिपोर्ट, जिसमें गंभीर आरोप लगाया गया हो कि मनरेगा को लागू करने में भ्रष्टाचार/ गबन किया गया है, पर विचार ना कर आदेश पास करने में सहीं हैं जबकि इसमें आगे जांच की जरूरत होती है ?

    2. क्या हाईकोर्ट दो जांच रिपोर्ट पर गौर किए बिना ये कहकर याचिका खारिज करने में सही है कि लोकायुक्त इसे खारिज कर चुके हैं ?

    3. क्या हाईकोर्ट व लोकायुक्त जिला पंचायत के सीईओ की जांच रिपोर्ट को मंजूर करने में सही हैं जो अपने विभाग के पक्ष में बिना किसी प्राधिकार और सही निर्देशों के दी गई थी ?

    4. क्या हाईकोर्ट और लोकायुक्त का जांच करने वाले को जिला पंचायत के सीईओ द्वारा जारी नियुक्ति रद्द करने के आदेश को स्वीकार करना सही है कि 15 दिन के तय वक्त में जांच पूरी नहीं की गई जबकि संबंधित अफसरों व जिला पंचायत के सीईओ के विभाग के कर्मियों ने ही जांच में सहयोग नहीं किया ?


    याचिका में मामले की आगे जांच के आदेश देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि मनरेगा की योजना विशिष्ट कारणों के लिए संवैधानिक जरूरत के तहत शुरु की गई है और अगर इसकी आगे जांच नहीं होती या मामले को यहीं बंद कर दिया जाता है तो ये लोगों के साथ अन्याय होगा।


     
    Next Story