गुरदासपुर और वेंगारा उपचुनाव VVPAT से कराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, कहा नहीं देंगे दखल

LiveLaw News Network

6 Oct 2017 12:07 PM GMT

  • गुरदासपुर और वेंगारा उपचुनाव VVPAT से कराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, कहा नहीं देंगे दखल

    सुप्रीम कोर्ट ने 11 अक्तूबर को पंजाब के गुरदासपुर और केरल के वेंगारा में होने वाले उपचुनाव में VVPAT से निकलने वाली सारी ट्रेल की गिनती करने के लिए कदम उठाने की याचिका को खारिज कर दिया है।

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगवाई वाली बेंच ने कहा कि उपचुनाव में बेहद कम वक्त बचा है और ऐसे में चुनाव आयोग के काम में सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं दे सकता। कोर्ट ने ये भी कहा कि चुनाव आयोग कह चुका है कि 2018 के बाद वो सारे चुनाव VVPAT से कराएगा। ऐसे में इस याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।

    दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता साबू स्टीफन ने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दाखिल कर मांग की थी कि पेपर ट्रेल की गिनती की तुलना EVM से की जाए और अगर कोई अंतर मिलता है तो पेपर ट्रेल के परिणाम को माना जाए।

     VVPAT मशीन होती है जब कोई मत देने के लिए किसी प्रत्याशी के नाम के सामने का बटन दबाता है तो इसमें से पेपर की स्लिप निकलती है जिस पार्टी के प्रत्याशी के लिए बटन दबाया गया है। सील बॉक्स में जाने से पहले कुछ पल के लिए ये मतदाता को दिखाई देती है।इससे मतदाता संतुष्ट हो सकता है कि EVM में उसने जिसको वोट दी है, ये मत उसी को गया है। इसी साल पांच राज्यों में हुए चुनाव के दौरान उठे सवालों की तरह अगर किसी चुनाव में परिणाम को लेकर सवाल उठते हैं तो पेपर ट्रेल के जरिए परिणाम की जांच की जा सकती है। गुरदासपुर और वेंगारा के चुनाव 11 अक्तूबर को होने हैं जबकि मतों की गिनती 15 अक्तूबर को होगी।

    वकील वीके बीजू के माध्यम से दाखिल इस याचिका में कहा गया था कि ये अर्जी भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया पर देश के नागरिकों का भरोसा बढाने के लिए दाखिल की गई है।

    इसमें कहा गया था कि वोट डालना मौलिक अधिकार है और वोटिंग लोकतंत्र का दिल है। वोटिंग का दिल भरोसा है कि प्रत्येक डाले गए वोट  की रिकार्डिंग और गिनती सही और निष्पक्ष हो।

    जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के तहत वोटिंग वैधानिक अधिकार है जबकि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत ये मौलिक अधिकार है क्योंकि ये मतदाता को प्रत्याशी के बारे में जानकारी लेने का अधिकार देता है। हर वोटर को ये जानने का अधिकार है कि उसका वोट सही रिकार्ड हुआ है और गिनती हुई है। फिलहाल देश में कोई वोटर नहीं जानता कि उसके वोट की रिकार्डिंग और गिनती सही और निष्पक्ष हुई है या नहीं। इस संबंध में ना तो कोई सबूत है और ना ही कोई जवाबदेही। भारत का संविधान अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत चुनाव आयोग को ये कर्तव्य और जिम्मेदारी  प्रदान करता है कि वो देश के नागरिकों को लोकतांत्रिक अधिकार देने के लिए कार्य करे। जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 और कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 चुनाव आयोग को देश में निर्विघ्न और भरोसेमंद चुनाव प्रक्रिया लागू करने की ड्यूटी और जिम्मेदारी देते हैं।

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