केरल कांग्रेस में संगठन चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network

4 Oct 2017 8:33 AM GMT

  • केरल कांग्रेस में संगठन चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका [याचिका पढ़े]

    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ( INC) के एक सदस्य ने  केरल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कांग्रेस की केरल शाखा में संगठन चुनाव कराने की मांग की है।

    याचिकाकर्ता ने कहा है कि कांग्रेस के संविधान में भी कहा गया है कि हर पांच साल बाद संगठन के चुनाव होंगे और ये सिर्फ संगठन की जरूरत नहीं है बल्कि जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत एक राजनीतिक पार्टी के पंजीकरण और मान्यता के लिए वैधानिक जरूरत भी है। चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 और एक्ट से 29 A के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर राजनीतिक पार्टियों की मान्यता व पंजीकरण के लिए गाइडलाइन जारी की हैं। इन गाइडलाइन के पैरा 3 ( xxi) के मुताबिक राजनीतिक पार्टियों के पंजीकरण के लिए वक्त-वक्त पर संगठन के चुनाव कराना अनिवार्य है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि किसी राजनीतिक पार्टी के पंजीकरण के लिए जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत ये चुनाव जरूरी हैं।

    याचिका में कहा गया कि आखिरी बार 2010 में ये चुनाव हुए थे और 2015 से चुनाव नहीं हुए हैं। चुनाव आयोग ने कांग्रेस को निर्देश जारी किए थे कि जून 2017 तक चुनाव कराए जाएं। यहां तक कि केरल प्रदेश के लिए राज्य समिति और जिला समिति के चुनाव के लिए रिटर्निंग अफसर नियुक्त किए गए लेकिन आगे कदम नहीं उठाए। गए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ नेताओं के इशारे पर जानबूझकर चुनाव कराने में देरी की जा रही है। ऐसे में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

    याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक पार्टियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार से फंड/ सहायता लेती हैं। जैसे (  a) इंकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 13 A के तहत आयकर में छूट, (  b). एक्ट के सेक्शन 29B के तहत सरकार के अलावा किसी भी व्यक्ति या कंपनी से चंदा लेने का अधिकार, (c) दिल्ली में निशुल्क या रियायती दरों पर जमीन, (d). राज्यों की राजधानी में जमीन, ( e) रियायती दरों पर किराए पर आवास, (f) लोकसभा या विधानसभा चुनाव के वक्त दूरदर्शन या ऑल इंडिया रेडियो पर फ्री एयरटाइम आदि। इसके अलावा एक्ट के मुताबिक राजनीतिक पार्टी को और भी कई विशेषाधिकार प्राप्त हैं। ऐसे में प्रतिवादी या कोई भी राजनीतिक पार्टी मनमाने, मनमौजी या स्वेच्छापूर्वक काम नहीं कर सकती। इनके कार्यों को उच्च मानकों के तहत देखा और परखा जाना चाहिए और ये राज्य के कार्यों के समान संवैधानिक मानकों के लिए बाध्य हैं। याचिकाकर्ता ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों के अंदरूनी कामकाज की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।जब ये याचिका सुनवाई के लिए आई तो एक जज की बेंच ने राजनीतिक पार्टी के खिलाफ याचिका के सुनवाई योग्य होने पर प्रारंभिक सवाल उठाए और पहले ही चुनाव आयोग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इस मुद्दे पर नोटिस जारी किए।


     
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