मद्रास हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जयललिता की मौत के लिए बनाए गए जांच कमिशन का विरोध किया गया
LiveLaw News Network
4 Oct 2017 1:32 PM IST
तमिलनाडु सरकार ने एआईएडीएमके सुप्रीमो रही जे. जयललिता की मौत के मामले में जो एन्क्वायरी कमिशन बनाया है उसके खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। याचिका में कमिशन पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा गया है कि ये अवैध है।
पीए जोसेफ नामक शख्स की ओर से एडवोकेट ई विजय आनंद ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि कमिशन का गठन अवैध है और ये मैकेनिकल तरीके से किया गया है। कमिशन का गठन बिना असेंबली में प्रस्ताव पारित किए किया गया है।
तमिलनाडु सरकार ने 26 सितंबर को जांच अायोग का गठन किया था औरर रिटायर जस्टिस अरुमुग्स्वामी को इसका हेड बनाया था। कमिशन से जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच को कहा गया है। जयललिता को 5 दिंसबर 2016 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी 75 दिनों के इलाज के बाद मौत हो गई थी।
याचिकाकर्ता का कहना है कि कमिशन गठन बिना विधानसभा में प्रस्ताव पारित किए किया गया है जबकि कमिशन एन्क्वायरी एक्ट 1952 की धारा-3 के तहत ऐसा करना अनिवार्य है। अर्जी में कहा गया है कि कमिशन सरकार के ओपिनियन पर आधारित है औरर इसके लिए तामिलनाडु विधानसभा में कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ था। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने सरकार को निर्दश देने के लिए कहा था कि जयललिता की मौत के मामले की उसी तरह से जांच हो जिस तरह से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मामले में जांच आयोग बैठी थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसकी अर्जी हाई कोर्ट में पेंडिंग है लेकिन इसी बीच सरकार ने जल्दी में कमिशन के गठन की घोषणा कर दी। याचिका में कहा गया है कि ये एक्शन गलत नियत से लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले कहा था कि सब ठीक है लेकिन अब वही सरकार यू टर्न ले चुकी है और कहा है कि जयललिता की भर्ती के मामले में सबकुछ ठीक नहीं था। जिस तरह से जांच आयोग से मामले की जांच को कहा गया है कि वह विरोधाभासी लगता है। साथ ही इस बात की जांच होनी चाहिए कि एआईएडीएमके के एमएलए और एमपी ने जिसस तरह से जयललिता के हॉस्पिटलाइजेशन के दौरान बयान जारी किए थे और इलाज से लेकर उनकी मौत के बारे में गलत जानकारी दी गई थी उसकी भी जांच होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि जयललिता के इलाज औरर हॉस्पिटलाइजेशन के एपिसोड में पूरी राज्य सरकार लिप्त थी इस दौरान उनकी मौत हुई। ऐसे में ये जरूरी है कि केंद्र सरकार कदम उठाए और एक स्वतंत्र जांच आयोग का गठन करे।