अपने बयानों पर कायम दुष्यंत दवे, कहा साबित करेंगे वो सही और BCI गलत
LiveLaw News Network
28 Sept 2017 11:00 PM IST
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा आज नोटिस जारी करने के जवाब में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने BCI को ही जस्टिस दीपक मिश्रा की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर नियुक्ति पर कार्रवाई ना करने पर घेरा है।
दवे ने लाइवलॉ से बात करते हुए कहा, “मुझे अब तक नोटिस नहीं मिला है। लेकिन पिछली रात को NDTV पर कहा वो सच है। ये मामला कानूनी सिस्टम और राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है कि जजों के व्यवहार पर कोई जांच नहीं होती। असल में BCI को जस्टिस दीपक मिश्रा की उच्च न्यायिक आफिस में नियुक्ति का विरोध करना चाहिए था जिसके लिए सिर्फ श्रेष्ठ और गैरविवादित व्यक्ति ही नियुक्त किया जाना चाहिए। उनके खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं और जो व्यक्ति संवैधानिक पदों पर हैं उन्हें सावधान रहना चाहिए और उन्हें नियुक्त नहीं करना चाहिए। इन आरोपों की जांच तक नहीं की गई और देश से छिपाया गया। मेरे पास उनके खिलाफ निजी तौर पर कुछ नहीं है लेकिन एक नागरिक और वकील के तौर पर मुझे चिंतित करता है कि ऐसी पृष्ठभूमि होने पर कार्यपालिका, खासतौर पर ऐसे हालात में जब सुप्रीम कोर्ट बडे प्रभाव वाले राजनीतिक मामलों की सुनवाई कर रहा हो तो फायदा उठाती है। BCI ने ये कदम उठाकर बहस का एक मौका दिया है जो देश को पहले करनी चाहिए थी। एडवोकेट एक्ट के मुताबिक BCI के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है, ऐसी संस्था है जिसमें कई सालों से चुनाव नहीं हुआ है और मनन मिश्रा ऐसे ही चेयरमैन के पद पर बने हुए हैं। मुझे इस बारे में नोटिस का जवाब देने में खुशी होगी और मैं साबित करूंगा कि मैं सही था और BCI गलत। “
दरअसल दवे को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और कॉलिजियम के खिलाफ अपमानजनक व अंधाधुंध बयान देने के लिए नोटिस जारी किया गया है और चार हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ( SCBA) ने भी दवे की टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति जाहिर की है और इन्हें आधारहीन, अपमानजनक व गैरजिम्मेदाराना बताया है। वहीं इस मुद्दे पर जस्टिस पटेल के साथ एकजुटता के साथ खडे रहने और पदोन्नति में पारदर्शिता की जरूरत बताते हुए SCBA ने प्रेस रिलीज में कहा है कि बहस का विषय कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस जयंत पटेल का था। दवे ने कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ निजी तौर पर बडे आरोप लगाए जिनका कोई आधार नहीं है। दवे के ये बयान सुप्रीम कोर्ट और पूरे कानून जगत की गरिमा और प्रतिष्ठा को कलंकित करने के समान है। इसलिए बार संस्थान के मुखिया पर आधारहीन और झूठे निजी हमले की निंदा करती है। उन्हें पहले के चीफ जस्टिस को भी बिना किसी आधार के निशाना बनाने की आदत रही है।
ये प्रतिक्रिया कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस जयंत पटेल के इस्तीफे के बाद आई हैं।
दरअसल जस्टिस पटेल ने वरिष्ठ होने के बावजूद कथित तौर पर किसी भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्त ना करने के विरोध में सोमवार को इस्तीफा दे दिया है। वैसे जस्टिस पटेल की पदोन्नति का मुद्दा पहले भी कई बार उठाया गया लेकिन अंतिम आदेश के तौर पर उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया जहां वरिष्ठता के क्रम में वो तीसरे नंबर पर होते।
NDTV 24X7 के लेफ्ट, राइट एंड सेटर प्रोग्राम में बहस में हिस्सा लेते हुए बुधवार को दवे ने मा केवल जस्टिस पटेल के तबादले की निंदा की बल्कि न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलिजियम को भी निशाना बनाया। उन्होंने कहा था ,” कॉलिजियम हमेशा न्यायपालिका की स्वतंत्रता की गर्जना करता रहता है। उन्होंने न्यायिक नियुक्तियों को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के नाम पर कार्यपालिका से छीना है लेकिन आजकल ये ही हो रहा है। जज जो सत्ता के नजदीक हैं, जिन्होंने अमित शाह की मदद की उन्हें ईनाम दिया गया जैसे जस्टिस सदाशिवम और जस्टिस चौहान। ये भारतीय न्यायपालिका में काला दिन है। मुझे चीफ जस्टिस से कोई अपेक्षा नहीं है क्योंकि उन्होंने कालिखो पुल खुदकुशी नोट में गंभीर आरोप लगने पर और सीबीआई जांच लंबित होने पर समझौता कर लिया है। लेकिन कॉलिजियम के चार अन्य सदस्य उत्कृष्ट हैं और पूरी तरह ईमानदार हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं। इसलिए मुझे इस बात का गहरा धक्का लगा है कि ये फैसला लिया गया है।