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जस्टिस पटेल को राजनीतिक प्रतिष्ठान के खिलाफ साहस दिखाने के लिए सताया जा रहा : CJAR

LiveLaw News Network
28 Sep 2017 4:42 AM GMT
जस्टिस पटेल को राजनीतिक प्रतिष्ठान के खिलाफ साहस दिखाने के लिए सताया जा रहा : CJAR
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कैंपने फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी रिफॉर्म्स (CJAR) ने आधिकारिक रिलीज जारी कर जस्टिस जयंत पटेल के इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादले की निंदा की है। जस्टिस पटेल ने वरिष्ठ होने के बावजूद कथित तौर पर किसी भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्त ना करने के विरोध में सोमवार को इस्तीफा दे दिया है।  वैसे जस्टिस पटेल की पदोन्नति का मुद्दा पहले भी कई बार उठाया गया लेकिन अंतिम आदेश के तौर पर उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया जहां वरिष्ठता के क्रम में वो तीसरे नंबर पर होते।

कॉलिजियम के फैसले पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए CJAR ने कहा कि जिस तरीके से भारत के मुख्य न्यायधीश ने जस्टिस पटेल का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट किया है, वो दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तबादले के पीछे कोई ठोस कारण नहीं दिखता क्योंकि उनका पहले ही एक बार तबादला हो चुका है और अब उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया जाना चाहिए था। तबादले का ये फैसला उस वक्त और भी अकथनीय हो जाता है जब इस तथ्य पर विचार किया जाता है कि कर्नाटक हाईकोर्ट में पहले ही जजों की संख्या तय संख्या से आधी है और वहां नई नियुक्तियां भी नहीं हो रही हैं।

CJAR ने आगे जस्टिस पटेल द्वारा विवादित इशरतजहां फर्जी एनकाउंटर की सीबीआई जांच के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि वो राजनीतिक प्रतिष्ठान के खिलाफ केसों को उठाने के लिए अपने  साहस और प्रतिबद्धता के लिए सताए जा रहे हैं। इसने फिर से कॉलिजयम सिस्टम पर सवाल उठाए और कहा कि न्यायिक नियुक्तियों में अब बदलाव  होना चाहिए ताकि इसमें मनमानेपन, भाई भतीजावाद और राजनीतिक हस्तक्षेप ना रहे।




  • योग्यता के मानदंड और चयन की प्रक्रिया/ जजों के तबादले की प्रक्रिया सार्वजनिक होनी चाहिए

  • शॉर्ट लिस्ट किए गए प्रत्याशियों के नामों का खुलासा हो, साथ ही ये भी बताया जाए कि किस तरह वो पात्रता के मानदंड को पूरा करते हैं ,  क्यों उन्हें चयनित किया गया और उनकी पृष्ठभूमि दी जानी चाहिए।

  • कॉलेजियम की बैठकों के ब्यौरे तैयार करने के लिए उचित प्रक्रिया बनाई जाए

  • कॉलेजियम की बैठकों के ब्यौरे को सार्वजनिक किया जाए।

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