Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

मेरी न्याय-निष्ठा को कार्यपालिका और न्यायपालिका में फैसला लेने वालों ने नकारात्मक तरीके से लिया : जस्टिस पटेल

LiveLaw News Network
27 Sep 2017 10:07 AM GMT
मेरी न्याय-निष्ठा को कार्यपालिका और न्यायपालिका में फैसला लेने वालों ने नकारात्मक तरीके से लिया : जस्टिस पटेल
x

जस्टिस जयंत एम पटेल ने माना है कि उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर होने की वजह से इस्तीफा दिया है। जस्टिस पटेल के इस्तीफा देने से एक बार फिर कॉलिजियम सिस्टम के तौर तरीके पर बहस शुरु हो गई है।

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जस्टिस पटेल ने कहा है ,’ जब मुझे पता चला कि मेरा ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट हो रहा है तो मैने इस्तीफा देने का फैसला किया। मैंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया है। कल से ही में जिम्मेदारी से मुक्त हो चुका हूं।ये कैसे हुआ, क्या हुआ,इन सब बातों पर आप विचार कर सकते हैं। मेरी इलाहाबाद जाने की कोई इच्छा नहीं थी। मैंने गरिमा के साथ 16 साल जज के तौर पर काम किया और दस महीने के लिए मुझे किसी दूसरी जगह नहीं जाना चाहिए। मैं समझता हूं कि जो मैंने शपथ ली उसके अनुसार काम किया। सज़ा आखिरकार भगवान के हाथ में है। मैं तो इतना कह सकता हूं कि मैंने जहां भी जज के तौर पर काम किया वो पूरी गंभीरता और कडाई के साथ अपने दफ्तर की शपथ के तौर पर किया।’

ये पूछने पर कि ये ट्रांसफर इशरतजहां केस में सीबीआई जांच कराने के फैसले पर लिया गया, उनका कहना था कि रोजाना फैसले लेते हैं। वो ये नहीं देखते कि ये X का मामला है या Y का। इस तरह जज कभी फैसला नहीं ले सकते। हम जज के तौर पर पार्टी का नाम नहीं देखते और केस में फैसला नहीं लेते। मुझे नहीं लगता कि इसके पीछे वो कारण है लेकिन मैं इसके बारे में कुछ कह नहीं सकता क्योंकि ये फैसला किसी और ने लिया है।

रिपोर्ट में जस्टिस पटेल और बंगलूरू एडवोकेट एसोसिएशन के बीच बातचीत के बारे में भी बताया गया है। जानकारी के मुताबिक जस्टिस पटेल में एसोसिएशन के सदस्यों से कहा है कि उनकी न्याय- निष्ठा को कार्यपालिका और न्यायपालिका में फैसले लेने वालों ने नकारात्मक तरीके से लिया है। उन्होंने कहा , ‘ भाग्य ने मेरे बारे में कुछ और तय कर रखा है। सबसे ऊपर भगवान है। हम इंसान की बनाई दुनिया में रहते हैं और इसके ऊपर भी कोई है जिसने मेरे नसीब में कुछ और काम करना लिख रखा है।’

इस्तीफा 

जस्टिस पटेल अगस्त 1979 में बार में शामिल हुए और शुरुआत में राजकोट की जिला अदालत में वकालत करते थे। 1985 में वो गुजरात हाईकोर्ट में वकालत करने लगे और दिसंबर 2001 में उन्हें हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। अगस्त 2004 में उन्हें स्थायी जज बना दिया गया। अगस्त 2015 में उन्हें गुजरात हाईकोर्ट का एक्टिंग चीफ जस्टिस बनाया गया और फरवरी 2016 में उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट का जज बनाया गया।

हालांकि उन्होंने सोमवार को वरिष्ठ होने के बावजूद किसी भी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस ना बनाए जाने पर इस्तीफा दे दिया। वैसे जस्टिस पटेल की पदोन्नति का मुद्दा पहले भी कई बार उठाया गया लेकिन अंतिम आदेश के तौर पर उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया जहां वरिष्ठता के क्रम में वो तीसरे नंबर पर होते।

ट्रांसफर की निंदा करते हुए गुजरात एडवोकेटस एसोसिएशन ने इस विरोध में बुधवार को काम ना करने का फैसला किया। एसोसिएशन ने निचली अदालतों व ट्रिब्यूनल में सभी बार एसोसिएशनों को एक दिन काम ना करने की अपील की है। एसोसिएशन ने प्रस्ताव पास किया है कि जज के ट्रांसफर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए।

एसोसिएशन ने फैसला लिया है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के कॉलिजियम में नियुक्ति या नियुक्ति ना करने, हाईकोर्ट के जजों को कंफर्म करने या ना करने, हाईकोर्ट के जज को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने या ना बनाने, हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने संबंधी सभी सिफारिशों के खुलासे जैसे बडे मुद्दे उठाए जाएंगे ताकि ऐसे हालात में प्रत्याशी या बार के सामने न्यायिक पुनर्विचार उपलब्ध हो सके।

Next Story