बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीसीआई के आदेश पर कहा कि सभी बहुमत का फैसला गुटबाजी नहीं ,सीसीआई ने टेली कंपनियों के खिलाफ जांच के दिए थे आदेश [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

26 Sep 2017 8:17 AM GMT

  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीसीआई के आदेश पर कहा कि सभी बहुमत का फैसला गुटबाजी नहीं ,सीसीआई ने टेली कंपनियों के खिलाफ जांच के दिए थे आदेश [आर्डर पढ़े]

    टेलिकॉम कंपनियों को बॉम्बे हाई कोर्ट से भारी राहत मिली है। टेलिकॉम कंपनियों वोडाफोन इंडिया, आईडिया सेल्युलर, भारती एयरटेल लिमिटेड को हाई कोर्ट से राहत मिली है। हाई कोर्ट ने कंपिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि इन कंपनियों के गुटबाजी के मामले की जांच की जाए। इन पर आरोप था कि नए मार्केट प्लेयर जियो के खिलाफ इन्होंने गुटबाजी की थी और इसी सिलसिले में सीसीआई ने जांच के आदेश दिए थे जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

    बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप मोहता और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने सीसीआई के 21 अप्रैल 2017 के आदेश को खारिज कर दिया। सीसीआई ने सेक्शन 26 (1) के तहत आदेश पारित किया था और तमाम नोटिस डायरेक्टर जनरल ऑफ सीसीआई ने पारित किया था।

    सीसीआई के आदेश को तीन टेलिकॉम कंपनियों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, इकबाल चांगला, डेरियस खंबाता, एस्पी चेनॉय, जनक द्वारकादास, श्री हरि अने, रामजी श्रीनिवासन और अमित सिब्बल पेश हुए थे। रिलायंस जियो का कहा था कि इन कंपनियों ने इनटरनेट के कई मुद्दों पर जानकारी से इनकार कर दिया था इस कारण उनके नेटवर्क में कंजेशन हुआ था। वहीं बाकी कंपनियों की ओर से उनके वकील ने कहा कि रिलायंस जियो के फ्री सर्विस के कारण भारी संख्या में लोगों ने वॉयस मैसेज किए और इस कारण नेटवर्क में भारी कंजेशन हुआ है।

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने 21 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा था कि टेलिग्राफ एक्ट के तहत टेलिकॉम कंपनियां कंट्रोल होती है और वह रेग्युलेट होती है। टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ट्राई एक्ट और संबंधित रेग्युलेशन, रूल्स, सर्कुलर औरर सरकारी पॉलिसी उसी दायरे में आती है। तमाम पक्षकार और हितधारक सरकार और सरकारी अथॉरिटी द्वारा घोषित किए जाने वाले नियम के तहत पॉलिसी मानने को बाध्य हैं और इसी दायरे में कॉन्ट्रैक्ट करने को भी बाध्य हैं।

    ऐसे में जो भी स्पष्टीकरण हो या फिर व्य़ाख्यान होगा और फिर क्वालिटी ऑफ सर्विस की बात होगी सब कुछ टीडीएसएटी के तहत निपटाया जाएगा उसके लिए कंपिटिशन एक्ट नहीं लागू होगा। कोर्ट ने कहा कि कंपिटिशन एक्ट ये देखता है कि एंटी कंपिटिटिव एग्रीमेंट तो नहीं है औरर इस कारण कोई अपने स्थान का गलत उपयोग तो नहीं कर रहा है। इसके तहत टेलिकॉम पॉलिसी, कंडिशन और मार्केट का आंकलन नहीं हो सकता है। ये तमाम बातें टेलिग्राफ एक्ट के तहत आता है। कंपिटिशन एक्ट के तहत अथॉरिटी को तमाम कॉन्ट्रैक्ट, विधान आदि को डील करने का जूरिडिक्शन नहीं है। टेलिकम्युनिशन मार्केट के तमाम पहलू को डील करने के लिए पॉलिसी तय है औरर ये समय-समय पर तय होता है और ये सरकार का संबंधित विभाग देखता है। साथ ही ट्राई एक्ट के तहत ये देखा जाता है। अदालत ने कहा कि सीसीआई का आदेश और डायरेक्टर जनरल द्वारा नोटिस को खारिज किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि तमाम बहुमत का फैसला गुटबाजी नहीं होता है।


     
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