सरकार से उम्मीद और भरोसा कि वो लॉ अफसरों की नियुक्ति करेगी : मद्रास हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

26 Sep 2017 4:17 AM GMT

  • सरकार से उम्मीद और भरोसा कि वो लॉ अफसरों की नियुक्ति करेगी : मद्रास हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

    मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि लंबित मामलों के जल्द निपटारे के लिए ये जरूरी है कि लॉ अफसरों के खाली पद भरे जाएं। हाईकोर्ट ने कहा है कि इन पदों को 6 हफ्ते में भरा जाना चाहिए।

    मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच में न्यायमूर्ति के के शशिधरन और जीएम स्वामीनाथन ने मदुरै निवासी आर राजासेल्वन की जनहित याचिका का निपटारा कर दिया क्योंकि सरकार की ओर से बताया गया कि लॉ अफसरों के चयन और नियुक्ति के लिए समिति का गठन किया गया है और नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने में चार हफ्ते का वक्त लगेगा। हाईकोर्ट ने कहा चूंकि सरकार ने लॉ अफसरों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है इसलिए अब कोर्ट के इस मामले की सुनवाई करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद और भरोसा है कि सरकार इन नियुक्तियों को वक्त पर पूरा करेगी और ज्यादा से ज्यादा 6 हफ्ते में इसे पूरा करेगी।

    दरअसल याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार को मदुरै बेंच में सरकारी वकीलों के खाली पद भरने की मांग की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि सिविल और आपराधिक दोनों लॉ अफसरों की कमी है जिसकी वजह से हाईकोर्ट केसों खासतौर पर आपराधिक केसों का निपटारा नहीं कर पा रहा है।

    इससे पहले कि याचिका का निपटारा होता, एडवोकेट जनरल कोर्ट में पेश हुए और कहा कि नियुक्तियों के लिए सरकार ने उनकी अगवाई में। पब्लिक डिपार्टमेंट, गृह विभाग और कानून विभाग के प्रमुख सचिवों की समिति का गठन किया है। उन्होंने बताया कि प्रक्रिया के तहत नामों को चयन करके लिस्ट को वैरिफिकेशन के लिए भेजा जाएगा और बार काउंसिल को भेजा जाएगा कि कहीं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई तो लंबित नहीं है। बार काउंसिल नियमों में हुए संशोधन के तहत नामों की वैरिफिकेशन करेगी और उसके बाद नियुक्तियां की जाएंगी।

    जनहित याचिका में बताया गया था कि आपराधिक क्षेत्र में पांच सरकारी वकीलों की रिक्तियां हैं जबकि सिविल क्षेत्र में दस सरकारी वकीलों की। मदुरै बेंच में रोजाना करीब 1500 को सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाता है जबकि 31 दिसंबर 2016 के आंकडे के मुताबिक 74,469 सिविल केस 10,013 आपराधिक केस और 95,344 विविध केस लंबित हैं।


     
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