मेडिकल दाखिलों के आखिरी वक्त में मुकदमेबाजी से छात्रों में भारी तनाव और चिंता, बनाएंगे गाइडलाइन : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
24 Sept 2017 10:53 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कालेजों में दाखिले को लेकर हर साल आखिरी वक्त में याचिकाएं दाखिल होने पर गंभीर रुख अपनाते हुए इशारा किया है कि ऐसे मामलों के निवारण के लिए कडे कदम उठाने की जरूरत है
शुक्रवार को न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं के आधार पर कोर्ट से कहने पर विवश हो गया है कि हर साल इस तरह की मुकदमेबाजी से छात्रों, मेडिकल संस्थानों और संबंधित पक्षों में भारी दबाव और चिंता बढती है। कोर्ट में मौजूद सभी पक्षों के वकील इस बात से सहमत हैं कि ये वक्त है जब आखिरी वक्त में ऐसी मुकदमेबाजी से कालेजों और राज्य प्रशासन को रोकने के लिए कदम उठाए जाएं। कोर्ट ने इस मामले को आगे सुनवाई और ऐसे कदम उठाने के आदेश जारी करने के लिए दिसंबर में सुनवाई करने का फैसला किया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट मेडिकल कालेजों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है। केंद्र ने इन कालेजों में MBBS में 2017-2018 में दाखिलों पर रोक लगा दी है। इससे पहले कालेजों ने इस संबंध में केरल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसने अंतरिम आदेश के तहत कालेजों को अस्थायी तौर पर दाखिले करने की इजाजत दी थी।
लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट मे मेडिकल कालेजों को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका दाखिल करने की मंजूरी दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने कालेज में कोई ठोस कमी नहीं पाई इसके बावजूद उनके दाखिले लेने पर रोक लगा दी। अल - अजहर कालेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि कालेज को दाखिलों की अनुमति नहीं दी गई इसके बावजूद कि उसकी सफाई विश्वासप्रद थी। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही टिप्पणी दूसरे कालेजों के मामले में भी की थी। इन दलीलों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि वो केरल हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत दाखिल हुए छात्रों पर अपना अधिकारक्षेत्र लागू करने को विवश है। याचिकाओं को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साफ तौर पर इन पर सुनवाई से इंकार करना असमान और अन्यायपूर्ण होगा क्योंकि छात्रों के दाखिलों की वैधता पर सवाल बरकरार है। तथ्यों की जांच के आधार पर कोर्ट ये पाता है कि कालेजों में मामूली कमियां हैं और उन्होंने ज्यादातर नियमों का पालन किया है। इसलिए हमारे विचार में छात्रों के दाखिले को लेकर पहले के फैसले की तरह कोई दिशा निर्देश जरूर बनाए जाने चाहिए। छात्रों का करियर अनिश्चय की स्थिति में छोडना संभव नहीं है।
कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील कि इन 40 छात्रों के दाखिले रद्द होने चाहिए, पर कहा कि अब उन्हें किसी अन्य कालेज में दाखिला नहीं मिल सकता। कोर्ट ने कहा कि एक निश्चित वक्त में कालेज मामूली कमियों को दूर करेंगे और एमसीआई को निरीक्षण करने के लिए कहेंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि ये आदेश मिसाल के तौर पर नहीं देखा जाएगा।