Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

JGLS रेप : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दोषियों की सज़ा निलंबित की, कहा पीडिता के ‘कैजुअल रिश्ते’ बाध्यकारी कारण [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
22 Sep 2017 4:22 AM GMT
JGLS रेप : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दोषियों की सज़ा निलंबित की, कहा पीडिता के ‘कैजुअल रिश्ते’ बाध्यकारी कारण [आर्डर पढ़े]
x

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के तीन लॉ छात्रों की सजा को निलंबित कर दिया है। उन्हें दो साल पहले यूनिवर्सिटी में ही पढने वाली छात्रा को ब्लैकमेल करने और गैंगरेप रेप करने के मामले में दोषी ठहराया गया था।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत ने मुख्य आरोपी हार्दिक सिकरी और उसके दोस्त करण छाबरा को 20 साल की सज़ा सुनाई थी जबकि विकास गर्ग को सात साल की सज़ा सुनाई गई थी। तीनों ने हाईकोर्ट से अपील लंबित होने की वजह से जमानत पर रिहा करने की मांग की थी। उनकी अर्जी को मंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा निलंबित कर दी ओर शर्त लगा दी कि इस दौरान तीनों देश छोडकर नहीं जाएंगे, छात्रा से किसी भी तरह संपर्क करने की कोशिश नहीं करेंगे और अपना दृश्यरतिक प्रवृतियों के बने रहने तक मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कराएंगे। तीनों के अभिभावकों को निर्देश दिया गया है कि इस मुद्दे पर वो छह महीने बाद कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेंगे।

जस्टिस महेश ग्रोवर और जस्टिस राज शेखर अत्री ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वो पीडिता की चिंता, समाज की मांग और कानून और सुधारात्मक एवं पुनर्वास न्याय के बीच बैलेंस बनाना चाहते हैं। ये एक मजाक होगा कि युवा मन को लंबे वक्त तक जेल में कैद रखा जाए जो उन्हें शिक्षा, खुद के मुक्त होने के मौके और सामान्य तरीके से समाज हिस्सा बनने से वंचित करेगा।

बेंच ने कहा कि लंबे वक्त तक कैद में रखना उनके लिए अपूर्णीय क्षति हो सकती है क्योंकि अपील कुछ समय तक लंबित रहेगी। हमारी राय में जब तक ये अपील लंबित रहेगी, दूसरे अपराध की संभावना में उनके मन में डर रहेगा कि अगर अपील फेल हो गई तो उन्हें लंबी कैद होगी।

इतना ही नहीं बेंच ने  ये तक कहा कि ये पीडित का हिंसा के प्रति ‘ कैजुअल’ व्यवहार है जो सजा निलंबन के बाध्यकारी कारण हैं। पीडिता के बयानों में कहीं भी  यौन अपराधों में परिचितों के साथ सामान्य व्यवहार, दुस्साहस और प्रयोग कोई अन्य पहलू नहीं आया और इसी कारण ये तथ्य सजा को निलंबित करने के बाध्यकारी कारण हैं वो भी तब आरोपी युवा हैं और पीडिता ने हिंसा के प्रति अप्रिय व्यवहार नहीं दिखाया और वो सामान्य तरीके से घटनाओं के साथ चलती रही।

बेंच ने ये भी कहा कि ये घटना युवा मन की ड्रग्स, शराब और सामान्य यौन दुस्साहस के खतरनाक सोच की प्रतिबिंब है और ये एक भ्रमित व दृश्यरतिक दुनिया है।

आदेश में पीडिता के बयानों के आधार पर कहा गया है कि युवाओं की अपरिपक्व लेकिन नापाक

दुनिया में जाने और झांकने की जरूरत है जहां युवाओं को सम्मान और आपसी समझ पर आधारित रिश्तें की कीमत का अहसास नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि पीडिता के बयानों पर गहन विचार करने पर पता चलता है कि ये विकृत विचार हैं और ये भ्रमित व्यवहार व दृश्यरतिक दिमाग के वैकल्पिक निष्कर्ष की ओर इशारा करता है।

इस दौरान सजा को निलंबित करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अंतरिम राहत के तौर पर पीडिता को मुआवजा नहीं दिया। कोर्ट ने तीनों को पीडिता को दस लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए।


 
Next Story