कानूनी पेशे में सामान्य होने से काम नहीं चलेगा बल्कि इसमें श्रेष्ठ और निपुण होना जरूरी : दिल्ली हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
21 Sept 2017 1:56 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि कानूनी पेशे में सामान्य होने से काम नहीं चलेगा बल्कि इसमें श्रेष्ठ और निपुण होना जरूरी है। अब ये वक्त आ गया है कि ये कडा संदेश दिया जाए कि कोर्ट में सामान्यता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दरअसल हाईकोर्ट एेसे मामले की सुनवाई कर रहा है जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया पहले वकील के कारण वो केस हार गए।
याचिकाकर्ता ने उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें पैरवी न होने की वजह से वाद को खारिज कर दिया गया था। याचिका में कहा गया कि वकील ने गलत तारीख लिख ली थी और उन्होंने अब नए वकील के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ ने इस परंपरा पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अंग्रेजों के वक्त प्रिवी काउंसिल और उच्च अदालतों में एेसे आधारों को भाव नहीं दिया जाता था और वो भारतीय वकीलों की काबिलियत पर भरोसा नहीं करते थे जबकि खासतौर पर वो मुफस्सिल क्षेत्रों में लगन से अपने अनपढ मुव्वकिलों को संरक्षण सरंक्षित करने की को़शिश करते थे। लेकिन आजाद भारत में अब इस वक्त तारीख और वक्त में ये जारी नहीं रह सकता।
इसके बाद हाईकोर्ट अदालतों को इस सामान्यता को मंजूरी को पेशे की विपत्ति बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि शायद कोर्ट एेसे आधारों को मंजूर कर लेता है इसलिए निपुणता और श्रेष्ठता कानूनी पेशे में कम होता जा रहा है। अगर कानूनी प्रक्रिया में ये होंगे तो पेशे में सुधार होगा और सामान्यता प्रतिभा को रास्ता देगी। अब ये वक्त आ गया है कि ये कडा संदेश दिया जाए कि कोर्ट में सामान्यता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हाईकोर्ट ने कहा कि बार बेंच की मां भी है।
जस्टिस एंडलॉ ने कहा कि वकील के पुराने वकील पर आरोप लगाना अब बढ गया है। यहां तक कि पूर्व वकील दूसरे से एेसे दावे की सत्यता को वैरिफाई तक नहीं करते। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने तारीख मुद्दे पर वकील पर आरोप लगाया लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरु नहीं की। कोर्ट ने वर्तमान वकील से कहा कि वो पुराने वकील को तलाशकर अगली तारीख पर कोर्ट में पेश होने का आग्रह करें। हाईकोर्ट ने सुनवाई की तारीख 21 सितंबर तय की है।