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बिहार में 0.5 से 1.2 फीसदी अल्कोहल वाले एनर्जी ड्रिंक या फ्रूट बियर पर 6 हफ्ते में फैसला ले हाईकोर्ट : सुप्रीम कोर्ट

अपने तरह के एक अलग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को कहा है कि वो ये तय करे कि बिहार में 0.5 से 1.2 फीसदी अल्कोहल वाले एनर्जी ड्रिंक या फ्रूट बियर शराबबंदी के कानून के तहत बिक सकते हैं या नही।
बिहार सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कूरियन जोजफ और जस्टिस बानूमति की बेंच ने इस मामले को पटना हाई कोर्ट वापस भेजते हुए 6 हफ्ते में मामले का निपटारा करने को कहा है।
दरअसल बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पटना हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें एनर्जी ड्रिंक और फ्रूट बियर के एक गोदाम मालिक को हाई कोर्ट ने राहत देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए गोदाम की सील खोलने के आदेश दिए थे। साथ ही हाईकोर्ट ने आदेश का पालन ना करने पर अफसरों को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए थे।
दरअसल 9 फरवरी 2017 को पटना के आलमगंज थाने में एनर्जी ड्रिंक और फ्रूट बियर में अल्कोहल को लेकर एक FIR दर्ज की गई। जिसके बाद आबकारी विभाग और पटना पुलिस ने आलमगंज थाना के बजरंगपुरी कालोनी के अंगद नगर में एक गोदाम पर छापा मारा जहाँ से 40 लाखों रुपये के एनर्जी ड्रिंक और फ्रूट बियर मिली। इसके बाद गोदाम के मालिक के खिलाफ नए शराब बंदी कानून के तहत FIR दर्ज की गई। गोदाम को सील कर दिया गया। ड्रिंक के सैम्पल लिए गए और जांच के लिए एक्साइज कैमिस्ट भेजे गए साथ ही सैम्पल को पटना के FSL भी भेजा गया। एक्साइज कैमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उसमें 0.2 से 05 फीसदी इथाइल अल्कोहल मिला जबकि FSL की रिपोर्ट में 0.2 से 1.2 इथाइल अल्कोहल पाया गया।
अप्रैल 2017 में गोदाम मालिक ने इसके ख़िलाफ़ पटना हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की जिसमें ये मांग की गई कि FIR को रद्द किया जाए और गोदाम की सील खोली जाए।
पटना हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान गोदाम मालिक के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी और बाद में 40 लाख की श्योरटी पर 17 जुलाई 2017 को गोदाम को डिसील करने के आदेश दे दिए।
31 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने एक्साइज विभाग के अफसरों को आदेश पालन न करने के लिए अदालत में तलब कर लिया। इसके खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। बिहार सरकार की ये दलील थी कि 2016 के शराबबंदी कानून के मुताबिक किसी भी तरह के अल्कोहल कंटेंट पर प्रतिबंध लगाता है। ऐसे में पटना हाई कोर्ट का आदेश सही नही है। बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कोर्ट में कहा कि आबकारी कानून के तहत राज्य में 0 फीसदी अल्कोहल का प्रावधान है। इसके अलावा आरोपी ने अपने ड्रिंक के नाम भी मशहूर कंपनियों के नाम पर रखे हुए हैं। एेसे में अगर इन्हें इजाजत दी जाती है तो राज्य में पूर्ण शराबबंदी का उद्देश्य की बेकार हो जाएगा। वहीं आरोपी की ओर से पेश वकील राजीव सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार का ये कदम ठीक नहीं है।