नशीले पदार्थों को लेकर केंद्र ने क्या कदम उठाए ? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network

19 Sep 2017 10:08 AM GMT

  • नशीले पदार्थों को लेकर केंद्र ने क्या कदम उठाए ? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा [याचिका पढ़े]

    देशभर में मादक पदार्थों के बढते जाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि उसने नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव पर जागरुकता फैलाने और सप्लाई को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं? कोर्ट ने ASG मनिंदर सिंह को इस संबंध में कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट नशीले पदार्थों की खेती, इस्तेमाल और सप्लाई पर विस्तृत पालिसी बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दखल पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

    तमिलनाडू के नागरिक केतीरेड्डी जगदीश्वर रेड्डी  ने याचिका में नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव को लेकर जागरुकता फैलाने, जांच सिस्टम को मजबूत कर सप्लाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, ड्रग्स पैडलर की संपत्ति जब्त करने और टीवी व फिल्मों में मादक पदार्थों के दिखाने, बढावा देने और महिमामंडन करने पर रोक लगाने की मांग की है।

    इस जनहित याचिका में महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, असम, तेलंगाना, गोआ, राजस्थान और बिहार समेत 18 पक्षकारों को प्रतिवादी बनाया गया है।

    याचिकाकर्ता के वकील डी महेश बाबू ने कहा कि 14 दिसंबर 2016 में बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था लेकिन सरकार इस पर अमल करने में नाकाम रही है। इसलिए कोर्ट को फैसला लागू कराने के मामले में दखल देने की जरूरत है।

    इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वो




    • 6 महीने के भीतर राष्ट्रीय सर्वे पूरा करे और राष्ट्रीय डेटा बेस बनाए

    • तुरंत विचार करने के योग्य मामले को लेकर चार महीने के भीतर विस्तृत राष्ट्रीय योजना तैयार करे और इसे लागू करे

    • NEP के तहत स्कूलों में पाठ्यक्रम में इसे लागू कराएं


    याचिकाकर्ता ने कहा कि जुलाई 2016 में संसद के मानसून सत्र के दौरान रखे गए आंकडे के मुताबिक देश में रोजाना नशीले पदार्थों या शराब की वजह से दस लोग खुदकुशी कर लेते हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आकडे के मुताबिक महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, केरल और तमिलनाडू में नशीले पदार्थों के चलते सबसे ज्यादा खुदकुशी होती है। 2014 में कुल 3647 एेसे मामले हुए जिनमे से अकेले महाराष्ट्र में 1372 खुदकुशी के मामले हुए जबकि तमिलनाडू में 552 और केरल में 475 केस हुए। पंजाब में 38 एेसे केस सामने आए।

    याचिका में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश, ओडिसा, तेलंगाना, छतीसगढ और हिमाचल प्रदेश में सतर्कता की कमी के चलते गांजा की अवैध खेती बढती जा रही है। रोजगार और संसाधनों में कमी के चलते आदिवासी लोग जंगल में ये खेती कर रहे हैं। याचिका में राज्यों को पब और हुक्का बार पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग भी की गई है।

     

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