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हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्ति संयुक्त मानी जाएगी या फिर साबित किया जाए : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
15 Sep 2017 10:51 AM GMT
हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्ति संयुक्त मानी जाएगी या फिर साबित किया जाए : सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया है कि एक हिंदू अविभाजित परिवार की सारी संपत्ति संयुक्त रूप से सारे सदस्यों ही मानी जाएगी। इसके विपरीत साबित करने की जिम्मेदारी उस सदस्य की होगी जो इसका विरोधी दावा करता है।

जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस अभय मनोहर सपरे ने कहा कि हिंदू लॉ में ये माना जाता है कि हिंदू परिवार खाने में, पूजा करने में और संपदा में संयुक्त हैं जब तक विभाजन का कोई सबूत ना हो। इसलिए वो सदस्य परिवार के संयुक्त संपत्ति की बात स्वीकार करते हुए दावा करे कि संयुक्त परिवार की सारी पैतृक संपत्ति में से कुछ संपत्ति उसकी खुद की कमाई की है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई कर रहा है जिसमें परिवार की संपत्ति खासतौर से खेती की जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें संपत्ति को परिवार की संयुक्त संपत्ति घोषित किया।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अपीलकर्ता ये साबित करने में  नाकाम रहे कि उक्त संपत्ति उसकी खुद की कमाई थी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में संपत्ति की खरीद साबित करने के लिए अपने नाम सेल डीड को बेहतर सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता था। साथ ही खरीदी के लिए किए गए भुगतान के कागजात दिए जा सकते थे लेकिन याची ये नहीं दे पाए।

इतना ही नहीं वो सबूत के तौर पर अन्य कोई भी दस्तावेज नहीं दे पाए कि उक्त संपत्ति उनकी अपनी है और इसके लिए अधिग्रहण के स्त्रोत को भी साबित नहीं कर पाए।

सुप्रीम कोर्ट मे निचली अदालतों के आदेश पर मुहर लगाते हुए कहा कि ये याची को साबित करना था कि संयुक्त परिवार में रहते हुए बी और सी के तौर पर सूचीबद्ध संपत्ति पैतृक संपत्ति का हिस्सा नहीं है बल्कि उनकी खुद से कमाई संपत्ति है। इसे लेकर याची कोई भी दस्तावेज मेटेरियल सबूत के तौर पर पेश नहीं कर पाए। इसलिए कोर्ट को ये कहने में कोई झिझक नहीं है कि दो अदालतों का सहमति से फैसला सही है जो कि मौखिक सबूतों के आधार पर बिल्कुल सही है।


 
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