तलाकशुदा बेटी भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी की हकदार : कलकत्ता हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
14 Sep 2017 12:17 PM GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट की फुल बेंच ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि तलाकशुदा बेटी को अविवाहित बेटी की श्रेणी में रखा जाएगा और वो अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने की हकदार है।
जस्टिस तपाब्रता चक्रवर्ती ने फैसले में लिखा कि पति से अलग होने के बाद तलाक लेकर बेटी फिर से पिता के घर आ जाती है और उसी घर की सदस्य बन जाती है। एेसे में उसे ये कहकर कि वो पिता के घर की सदस्य नहीं, कल्याणकारी योजनाओं के तहत वंचित नहीं रखा जा सकता। इस आदेश पर एक्टिंग चीफ जस्टिस निशिका म्हात्रे और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने भी सहमति जताई।
दरअसल हाईकोर्ट सिंगल बेंच के उन आदेशों को चुनौती देने वाली दो अर्जियों पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया कि ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड ( ECL) के एक कर्मी की तलाकशुदा बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी या पैसा नहीं दिया जा सकता। ECL की दलील थी कि शादी के बाद बेटी का उस तरीके से परिवार के साथ रिश्ता नहीं रहता और तलाक भी हो जाए तो वो अविवाहित बेटी की श्रेणी में नहीं आ सकती।
इसके लिए नेशनल कोल वेजेज एग्रीमेंट- VI का हवाला दिया गया जिसमें इंडस्ट्रीयल डिसेप्यूट एक्ट1947 का सेक्शन 2(P) दिया गया है। कहा गया कि इसके तहत तलाकशुदा बेटी को आश्रित की सूची में नहीं रखा गया है जिसके तहत उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट ने सबसे पहले अविवाहित शब्द पर ही सुनवाई की और कहा कि कहीं भी ये नहीं कहा गया है कि अविवाहित का अर्थ है कि कभी भी शादी ना हुई हो। हालात के हिसाब से ये भी कहा जा सकता है कि उस दिन वो शादीशुदा ना हो।
कोर्ट ने पाया कि NCWA ने इस मामले में विधवा को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के योग्य माना है जबकि तलाकशुदा पत्नी को पति के परिवार की सदस्य नहीं माना गया है।