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रोहिंग्या ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, हम आतंकवादी नहीं, मुस्लिम होने की वजह से बनाया जा रहा निशाना

LiveLaw News Network
13 Sep 2017 11:23 AM GMT
रोहिंग्या ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, हम आतंकवादी नहीं, मुस्लिम होने की वजह से बनाया जा रहा निशाना
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सरकार के रोहिंग्या मुस्लिम के कट्टरपंथी बनने के बयान के बाद जम्मू में 23 कैंपों के 7000 रोहिंग्या मुस्लिम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। इन आरोपों का खंडन करते हुए याचिका में सरकार के वापस भेजने के कदम का विरोध करते हुए कहा गया है कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वो मुस्लिम हैं।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि इस याचिका को भी 18 सितंबर को सुना जाएगा जब प्रशांत भूषण व अन्य दो की याचिका पर सुनवाई होगी।

वरिष्ठ वकील और मानवाधिकार एक्टिविस्ट कॉलिन गोंजाल्विस के माध्यम से दाखिल इस जनहित याचिका में कहा गया है कि उन्हें निर्वासित करने का कदम संविधान द्वारा दिए गए अनुच्छेद 14 के समानता के अधिकार का हनन होगा क्योंकि सरकार ने तिब्बती शरणार्थी व अन्य को अपने देश वापस जाने को नहीं कहा है। उन्हें निर्वासन सहित सख्त बर्ताव के लिए चुना गया है और इसके परिणामस्वरूप उनकी जान जाएगी। ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि सब गरीब और मुस्लिम हैं। भारत सरकार ने उनके मामले में सीधा सपाट और दो टूक नस्लवादी रुख अपनाया है।

याचिका में कहा गया है कि सभी सात हजार रोहिंग्या का आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है। जब से वो जम्मू में रह रहे हैं तब से उनके खिलाफ कोई भी आरोप नहीं लगे हैं। कोई भी रोहिंग्या आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं रहा। स्थानीय पुलिस पिछले एक साल से सभी से पूछताछ कर रही है और उसके पास हर परिवार की पूरी जानकारी मौजूद है। इतना ही नहीं पुलिस उनके पुनर्वास कैंपों का हर महीने कई बार निरीक्षण भी करती है। सारे रोहिंग्या पुलिस का सहयोग करते हैं और सारी जानकारी मुहैया कराते हैं। इसलिए उनके बीच एक भी आतंकी नहीं है।

याचिका में ये भी कहा गया है कि उनके समुदाय को आतंकवादी कहना अनुचित और भेदभाव वाला है। ये उनपर कलंक है और भारतीय संविधान के मुताबिक जीने के अधिकार का उल्लंघन है। रोहिंग्या का किसी भी भारतीय नागरिक के साथ झगडा नहीं है और ना ही बिगडे रिश्ते है इसलिए नोटिफिकेशन में जैसा लिखा गया है कि रोहिंग्या भारतीय नागरिकों के हक में घुस रहे हैं या देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं, बिल्कुल गलत है। ये भी पूरी तरह झूठ है कि शरणार्थियों की आतंकियों के प्रति कोई सहानुभूति है या वो आतंकी संगठनों में भर्ती हो रहे हैं।

इस नई याचिका का महत्व इसलिए बढ गया है कि दो रोहिंग्या की ओर से प्रशांत भूषण की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट में पूर्व आरएसएस विचारक के एन गोविंदाचार्य और चेन्नई के एक संगठन इंडिक कलेक्टिव ने रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस बर्मा भेजने की याचिका दाखिल की है। गोविंदाचार्य ने याचिका में कहा है कि ये देश में एक ओर बंटवारे को जन्म दे सकता है ये बात जगजाहिर है कि अल कायदा आतंक और जिहाद के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों को इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है। वहीं संगठन का कहना है कि ये देश की सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा को गंभीर खतरा है।

रोहिंग्या समुदाय के ये बयान इसलिए भी अहम हैं क्योंकि भारत ने बर्मा को चेताया है कि पाकिस्तान समर्थित लश्कर ए तैयबा जैसे संगठन रोहिंग्या को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे दोनों देशों और क्षेत्र को खतरा है।

इस अगस्त में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू  ने बयान दिया था कि आंकडे के मुताबिक UNHRC से पंजीकृत 14 हजार रोहिंग्या भारत में रह रहे हैं। हालांकि करीब 40 हजार रोहिंग्या अवैध तरीके से देश में रह रहे हैं।

आठ अगस्त को जारी एक सूचना में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को कहा है कि पिछले कुछ दशक से आतंकवाद में बढावा गंभीर चिंता का विषय बन गया है क्योंकि अातंकी संगठन अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को भर्ती कर रहे हैं।

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