राज्यसभा चुनाव में NOTA पर चुनाव आयोग का हलफनामा, कहा खारिज हो गुजरात कांग्रेस की याचिका
LiveLaw News Network
12 Sep 2017 2:06 PM GMT
राज्यसभा चुनाव में NOTA के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। हलफनामे के जरिए दाखिल जवाब में चुनाव आयोग ने कहा है राज्यसभा चुनाव में NOTA सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक है और ये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही चुनावों पर लागू होता है। आदेश के मुताबिक हर मतदाता को चुनाव से परहेज रखने का अधिकार है और ये इसी के तहत आता है।
चुनाव आयोग ने अपने हलफनामें में ये भी कहा कि NOTA के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका अदालती कार्रवाई का दुरुपयोग है। NOTA राज्यसभा चुनाव में 2014 से चल रहा है जबकि कांग्रेस ने 2017 में चुनौती दी। 2014 से अब तक NOTA से गुजरात समेत 25 राज्यसभा चुनाव हो चुके हैं।
चुनाव आयोग ने अपने हलफ़नामे में ये भी कहा कि 2014 में ही बैलेट पेपर में NOTA के प्रावधान के बारे में सारी राजनीतिक पार्टियों को जानकारी दे दी गई थी। कांग्रेस ने इसे लेकर जनहित याचिका दाखिल की है जबकि इससे किसी मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता क्योंकि चुनाव लडना वैधानिक अधिकार है मौलिक अधिकार नहीं। ऐसे में कांग्रेस याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, इसे ख़ारिज किया जाना चाहिए।
दरअसल पिछले तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर NOTA पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था इसकी सुनवाई जारी रखी जाएगी कि राज्यसभा के चुनाव में NOTA का इस्तेमाल हो सकता है या नहीं। कोर्ट ने गुजरात कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात कांग्रेस से कई सवाल किए थे। कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग ने जनवरी 2014 में नोटिफिकेशन जारी किया और अब अगस्त 2017 चल रहा है, इस बीच राज्यसभा के चुनाव हुए लेकिन आपने कभी इसे चुनौती नहीं दी?
कांग्रेस की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा था कि NOTA भ्रष्टाचार की रेसीपी है।गुजरात में अब चुनाव हो रहे हैं तो वो कोर्ट में इसे चुनौती दे रहे हैं।
गौरतलब है कि गुजरात राज्यसभा चुनाव में NOTA के इस्तेमाल के खिलाफ गुजरात कांग्रेस के चीफ व्हिप की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि NOTA का प्रावधान संविधान में नहीं है और न ही कोई कानून है। यह सिर्फ चुनाव आयोग का सर्कुलर है। ऐसे में NOTA जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 का उल्लंघन करता है।