Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

चुनाव हुए तीन साल बीते, खर्च का आंकडा चुनाव आयोग के पास नहीं, नाराज हुआ सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
6 Sep 2017 4:57 AM GMT
चुनाव हुए तीन साल बीते, खर्च का आंकडा चुनाव आयोग के पास नहीं, नाराज हुआ सुप्रीम कोर्ट
x

2014 में हुए लोकसभा चुनाव के तीन साल बाद भी प्रत्याशी के चुनावी खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग के पास नहीं है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को कडी फटकार लगाई।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने चुनाव आयोग से पूछा कि लोकसभा चुनाव हुए 3 साल हो चुके हैं और आपके पास अभी तक ये आंकडा तक नही है कि किस प्रत्याशी  ने चुनाव के दौरान कितने पैसे खर्च किए ?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद कहता है कि अगर किसी प्रत्याशी ने चुनाव के दौरान अगर तय सीमा से ज्यादा पैसे खर्च किये हैं तो चुनाव आयोग कारवाई करता है लेकिन यहाँ तो चुनाव आयोग के पास डेटा ही नही है तो कारवाई कैसे होगी ? इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आपको कैसे पता चलेगा कि लोकसभा में किसी उम्मीदवार ने ज्यादा रुपये  खर्च किये ? डेटा जिला चुनाव अधिकारी के पास है लेकिन 3 साल बीतने के बावजूद  आपके पास क्यों नही है ?

चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया कि तीन हफ़्ते में ये डेटा मंगा लिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट NGO लोकप्रहरी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। लोक प्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव सुधारों को लेकर आदेश दे कि नामांकन के वक्त प्रत्याशी अपनी और परिवार की आय के स्त्रोत का खुलासा भी करे। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

गौरतलब है अप्रैल 2017 में अपने हलफनामे में चुनाव सुधारों को लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि नामांकन के वक्त प्रत्याशी द्वारा अपनी, अपने जीवन साथी और आश्रितों की आय के स्त्रोत की जानकारी जरूरी करने को केंद्र तैयार है। केंद्र ने  कहा कि काफी विचार करने के बाद इस मुद्दे पर नियमों में बदलाव का फैसला लिया गया है।  जल्द ही इसके लिए नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इससे पहले चुनाव आयोग भी इस मामले में अपनी सहमति जता चुका है। चुनाव आयोग ने कहा था कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए नियमों में ये बदलाव जरूरी है।

अभी तक के नियमों के मुताबिक प्रत्याशी को नामांकन के वक्त अपनी, जीवनसाथी और तीन आश्रितों की चल-अचल संपत्ति व देनदारी की जानकारी देनी होती है। लेकिन इसमें आय के स्त्रोत बताने का नियम नहीं है।

अपने हलफनामें केंद्र ने ये भी कहा है कि उसने याचिकाकर्ता की ये बात भी मान ली है जिसमें कहा गया था कि प्रत्याशी से स्टेटमेंट लिया जाए कि वो जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत अयोग्य करार देने वाले प्रावधान में शामिल नहीं है। इससे जनता और रिटर्निंग अफसर ये जान पाएंगे कि प्रत्याशी चुनाव लडने के योग्य है या नहीं।

Next Story