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J&K हाईकोर्ट के पूर्व जजों को सुरक्षा देने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक, राज्य सरकार ने दी चुनौती

LiveLaw News Network
4 Sep 2017 9:43 AM GMT
J&K हाईकोर्ट के पूर्व जजों को सुरक्षा देने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक, राज्य सरकार ने दी चुनौती
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जम्मू कश्मीर में हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस और पूर्व जजों को सुरक्षा मुहैया कराने के जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है।  सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी कर 8 हफ़्ते में जवाब मांगा है।

सोमवार को जम्मू और कश्मीर सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि सेवानिवृत जजों को सुरक्षा देने का आदेश ठीक नहीं है। पूरे देश मे वीआइपी व अन्य किसी को भी सुरक्षा गृह मंत्रालय द्वारा तय दिशानिर्देशों में उस व्यक्ति की जान को होने वाले खतरे को देखते हुए दी जाती है। इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश और व्यापक तंत्र बना हुआ है पूरे देश में उसी का पालन होता है। ये कार्यपालिका का विशेषज्ञता वाला काम है। इसमें हाईकोर्ट आदेश नहीं दे सकता।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी अपने आदेशों मे कह चुका है कि किसे सुरक्षा देनी चाहिए और किसे नहीं देनी चाहिए ये विशेषज्ञता का मसला है और कोर्ट इस बारे में आदेश नहीं दे सकता।

दरअसल जम्मू कश्मीर सरकार ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के पिछले साल के 14 मार्च, 28 नवंबर और इस साल 17 फरवरी के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इन आदेशों में हाईकोर्ट ने सेवानिवृत न्यायाधीशों को चौबीस घंटे सुरक्षा देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट का आदेश है कि हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और सेवानिवृत न्यायाधीशों के घर पर 1-4 सुरक्षा गार्ड तैनात किये जाएं और साथ में एक पर्सनल सिक्योरिटी अफसर (पीएसओ) भी दिया जाए। सुरक्षा में और इजाफा उनकी जान के खतरे को देखते हुए किया जा सकता है।

हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को सेवानिवृत होने के एक साल बाद तक सुरक्षा दी जाए इसके बाद सुरक्षा समिति उनकी सुरक्षा के बारे में समीक्षा करके निर्णय लेगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया था कि सरकार राज्य पूर्व एडवोकेट जनरलों के घर पर चौबीस घंटे 1-3 सुरक्षा गार्ड तैनात करें। साथ ही मांगे जाने पर पर्सनल सिक्योरिटी अफसर (पीएसओ) दे। सुरक्षा समीक्षा कमेटी की समीक्षा में खतरे को देखते हुए सुरक्षा और बढ़ाई जा सकती है।

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