जेपी इंफ्राटेक दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, खरीदारों की याचिका पर AG कोर्ट की मदद करेंगे
LiveLaw News Network
4 Sept 2017 1:41 PM IST
जेपी इन्फ्राटेक में फ्लैट बुक कराने वाले खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से बडी राहत मिल गई है। जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया फिलहाल नहीं चलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद स्थित नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के 9 अगस्त से आदेश पर रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल ने जेपी बिल्डर को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए थे।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानवेलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने खरीदारों की याचिका पर जेपी, आरबीआई व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने AG के के वेणुगोपाल को इस केस में कोर्ट की मदद करने के लिए कहा है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर को करेगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि NCLT में IDBI के 526 करोड रुपये के कर्ज पर कारवाई चल रही थी लेकिन इस आदेश से खरीदारों के 25 हजार करोड रुपये दांव पर लग गए हैं।
दरअसल जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ दिवालिया और ऋण शोधन अक्षमता कानून 2016 के तहत कार्रवाई चल रही थी। याचिका में इस कानून को भी चुनौती दी गई है। इस मामले में याचिकाकर्ता खरीदारों ने आरोप लगाया है कि बिना गारंटी वाले देनदार की वजह से न तो घर मिलेगा और न ही धन वापस मिलेगा। मामले में24 फ्लैट मालिकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में उनके वकील अजीत कुमार सिन्हा ने कोर्ट के सामने मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जेपी इन्फ्राटेक की 27 रेजिडेंशल स्कीम में करीब 32 हजार लोगों ने फ्लैट बुक किए हैं। लेकिन कंपनी के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई शुरू की गई है। इस तरह उनका पैसा डूबने के कगार पर पहुंच गया है। मौजूदा दिवालिया कानून के तहत जब प्रक्रिया शुरू होगी तो पहले उन देनदारों का आर्थिक हित प्रोटेक्ट किया जाएगा, जो गारंटी वाले देनदार हैं। फ्लैट खरीदार तो बिना गारंटी वाले देनदार हैं, उन्हें कानून के तहत कुछ भी नहीं मिलने वाला है। अगर दिवालिया कानून के तहत मामला पेंडिंग हो तो उपभोक्ता अदालत के फैसले के बावजूद उसे लागू नहीं किया जा सकेगा।ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि खरीदारों के हितों को सुरक्षित किया जाए। फ्लैट खरीदारों ने इलाहाबाद स्थित नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आदेश पर रोक की मांग की थी। 9 अगस्त 2017 को ट्रिब्यूनल ने जेपी बिल्डर को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वह केंद्र सरकार के कहे के मुताबिक इतनी जल्दी क्लेम फॉर्म जमा नहीं कर सकते। केंद्र ने 24 अगस्त तक क्लेम फॉर्म जमा करने को कहा था।