मौत के 21 साल बाद सफाईकर्मी की विधवा को मिलेगा बढा हुआ मुआवजा, बोंबे हाईकोर्ट का फैसला [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
3 Sept 2017 9:33 PM IST
बोंबे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने निगम के सफाईकर्मी की मौत के 21 साल बाद उसकी विधवा को दिए जाने वाले मुआवजे में बढोतरी की है।
दरअसल नागपुर नगर निगम में नालों की सफाई करने का काम करने वाले रामदास सरदारे की 11 मार्च 1996 को सेंट जॉन हाईस्कूल के पीछे काम करते वक्त मौत हो गई थी। उस वक्त वो 67 साल का था। इसके बाद उसकी पत्नी राइवंत बाई सरदारे ने आयुक्त के सामने कर्मचारी मुआवजा एक्ट के तहत 1,28,300 रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की।
इस दावे के बाद आयुक्त ने पाया कि रामदास को प्रतिमाह 2940 रुपये वेतन मिलता है और इस आधार पर वो 1,88,645 रुपये का मुआवजा पाने की अधिकारी है। लेकिन 24 जुलाई 2003 के आदेश में आयुक्त ने कहा चूंकि दावे में 1,28,300 रुपये मांगे गए हैं इसलिए उसकी विधवा को यही रकम दी जाएगी। आयुक्त ने निगम को रामदास की विधवा को 1,28,300 रुपये का भुगतान करने के आदेश दिए। आयुक्त के इसी आदेश को चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट में जस्टिस शालिन फंसालकर जोशी ने राइवंत के वकील आकाश सोरटे की इस दलील को मान लिया कि क्योंकि दावेदार ने एक तय रकम की मांग की है इसलिए एेसा नहीं हो सकता कि वो जिस रकम की हकदार है, उसे ना दी जाए। जस्टिस जोशी ने कहा कि आयुक्त का ये फर्ज था कि वो एक्ट के तहत वैधानिक तौर पर जायज मुआवजा दे ना कि दावेदार ने जो मांगा है। इस तरह आयुक्त एक्ट के तहत सही राशि 1,88,645 रुपये का मुआवजा ना देकर अपने दायित्व को निभाने में नाकाम रहा।
इसके अलावा आयुक्त ने 25 फीसदी जुर्माना लगाया था और अपील में कहा गया थी कि एक्ट के सेक्शन 4A(B) के मुताबिक आयुक्त एरियर और ब्याज को मिलाकर कुल राशि का 50 फीसदी तक देने का आदेश दे सकता है। हालांकि हाईकोर्ट ने इस मामले में निगम का पक्ष मान लिया।
निगम की ओर से पेश वकील ए एम कुकडे की दलील थी कि इस एक्ट के तहत 50 फीसदी जुर्माना तभी दिया जा सकता है जब ये साबित हो जाए कि विभाग द्वारा मुआवजा देने में बेवजह देरी की गई है। इस केस में रामदास की मौत के 15 महीने बाद ये दावा किया गया था। कोर्ट ने इस अर्जी को आंशिक रूप से करते हुए मुआवजे की तारीख से 12 फीसदी ब्याज के साथ 1,88,645 रुपये और 25 फीसदी जुर्माना देने के आदेश दिए हैं।