जस्टिस रविंद्रन ने केरल के हदिया केस की NIA जांच की निगरानी से किया इंकार

LiveLaw News Network

30 Aug 2017 8:32 AM GMT

  • जस्टिस रविंद्रन ने केरल के हदिया केस की NIA जांच की निगरानी से किया इंकार

    सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरवी रविंद्रन ने केरल के हदिया केस में NIA जांच की निगरानी करने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस रविंद्रन ये जांच की निगरानी करने का आग्रह किया था जो उन्होंने ठुकरा दिया है।

    हालांकि मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जे एस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने पहले जस्टिस के एस राधाकृष्णन का नाम सुझाया था लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह ने सुझाव दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के एेसे रिटायर्ड जज को निगरानी का जिम्मा सौंपा जाए जो केरल के रहने वाले ना हों।

    दरअस 16 अगस्त को केरल के हदिया केस की जांच सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (NIA ) को सौंप दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर जस्टिस आर वी रविंद्रन जांच की निगरानी करने को कहा था। दरअसल  NIA को ये जांच करनी है कि इस घटना के पीछे चरमपंथियों का हाथ है या नहीं।

    ये मामला हदिया के हिंदू से मुस्लिम धर्म में परिवर्तन कर मुस्लिम युवक से निकाह का मामला है। इसी साल 25 मई को केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस निकाह को शून्य करार दे दिया था और युवती को उसके हिंदू अभिभावकों की अभिरक्षा में देने का आदेश दिया था। इस दौरा जस्टिस सुरेंद्र मोहन और जस्टिस अब्राहम मैथ्यू ने विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि 24 साल की युवती कमजोर और जल्द चपेट में आने वाली होती है और उसका कई तरीके से शोषण किया जा सकता है। चूंकि शादी उसके जीवन का सबसे अहम फैसला होता है इसलिए वो सिर्फ अभिभावकों की सक्रिय संलिप्ता से ही लिया जा सकता है।

    वहीं हदिया के पति ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि हाईकोर्ट ने बिना किसी कानूनी आधार के निकाह को शून्य करार दिया है। याचिका में कहा गया है कि ये फैसला आजाद देश की महिलाओं का असम्मान करता है क्योंकि इसने महिलाओं को अपने बारे में सोचविचार करने के अधिकार का छीन लिया है और उन्हें कमजोर व खुद के बारे में सोचविचार करने में असमर्थ घोषित कर दिया है। ये आदेश महिलाओं के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार और NIA को इस मामले से जुडे दस्तावेज दाखिल करने को कहा था और हदिया के पिता अशोकन से ये सबूत देने को कहा था कि कट्टरता फैलाने के बाद उसका धर्म परिवर्तन किया गया था।

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