सिक्किम के गुरुद्वारे को लेकर यथास्थिति बरकरार रहे : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
30 Aug 2017 12:03 PM IST
सिक्किम के गंगटोक में गुरुडांगमार गुरुद्वारे को हटाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम ने स्टेट्स को यानी यथा स्थिति बरक़रार रखने के आदेश दिए हैं। जिसका मतलब है कि फिलहाल गुरुद्वारा में किसी तरह का पुनर्निमाण का काम नही होगा।खिलाफ अमृत पाल सिंह की याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निस्तारण कर दिया है।
बुधवार को सिक्किम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच को बताया कि ये मामला सिक्किम हाई कोर्ट में लंबित है जिस पर 13 सितंबर को सुनवाई होने वाली है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 13 सितंबर तक यथा स्थिति बरक़रार बरक़रार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता अमृत पाल सिंह को कहा है कि वो हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करे।
इससे पहले सिक्किम में गुरुडांगमार गुरुद्वारे में राज्य सरकार द्वारा तोडफोड के आरोप वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई के लिए तैयार हो गया था।
अमृतपाल सिंह खालसा नाम के एक शख्स ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर गुरुद्वारे को तोडने से रोकने की मांग की हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता को कहा गया है कि वो याचिका की प्रति सिक्किम सरकार के वकील को दे।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि सिक्किम सरकार नवीनीकरण के नाम पर इस गुरुद्वारे को तोड़ना चाहती है। यहां तक कि सरकार ने पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को भी गैरकानूनी तरीके से हटा दिया है। यहां तक कि गुरुद्वारे के मुख्य पुजारी को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
याचिका में कहा गया था कि ये पुराने ग्रंथों से ये साफ है कि गुरु नानक वहां गए थे, तब लोगों ने कहा था कि पानी को समस्या है। ऐसे में गुरु ने वहां डांग मारी और वहां पानी आ गया। राज्य सरकार गुरुद्वारे को किसी भी तरह का कोई नुकसान ना पहुंचाए।
हालांकि इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि वो इस मामले को लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। याचिकाकर्ता का कहना था कि मामला जल्द सुनवाई वाला है और वो कम वक्त में सिक्किम नहीं पहुंच सकता।
याचिका में कहा गया था कि राज्य प्रशासन नवीनीकरण के नाम पर गुरुदारे में तोडफोड करना चाहता है इसके लिए सारी तैयारी कर ली गई हैं। यहां तक बिना कोड ऑफ कंडक्ट के गुरु ग्रंथ साहिब को भी हटा दिया है। एेसे में ये संभावना है कि सिख पुजारी को बिना जानकारी गुरुद्वारे में तोडफोड हो सकती है।
याचिका में मांग की गई थी कि सरकार को तोडफोड ना करने के आदेश दिए जाएं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट सरकार को ये निर्देश जारी करे कि अगर गुरुद्वारे में नवीनीकरण का काम किया जाता है तो सिख पुजारी को एक महीने का नोटिस दिया जाए ताकि कोड ऑफ कंडक्ट के हिसाब से गुरु ग्रंथ साहिब को वहां से दूसरी जगह भेजा जा सके।