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2002 दंगों में क्षतिग्रस्त धार्मिक स्थलों की मरम्मत के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा

LiveLaw News Network
29 Aug 2017 8:25 AM GMT
2002 दंगों में क्षतिग्रस्त धार्मिक स्थलों की मरम्मत के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा
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सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया है जिसमें 2002 गुजरात दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों की मरम्मत के लिए गुजरात सरकार को फंड देने को कहा गया था। इनमें ज्यादातर मस्जिद थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि कोर्ट सरकार को जनता के पैसे को धार्मिक स्थलों पर खर्च करने के निर्देश नहीं दे सकता।  सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की दलील को माना है एेसे मामले में मुआवजा देना संविधान के अनुच्छेद 27 के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा है कि संपत्ति और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा धर्मनिर्पेक्षता का अनिवार्य हिस्सा है और सामान्य  नागरिक की स्वतंत्रता का सम्मान जरूरी है। एक दूसरे के प्रति सहनशीलता भी होनी चाहिए।  अगर कोई पक्ष मुआवजे से इंकार से प्रभावित होता है तो वो कानूनी उपचार ले सकता है।

वहीं ASG तुषार मेहता के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है और गुजरात सरकार की उस योजना को मंजूर कर लिया है जिसमें रिहायशी और व्यावसायिक इमारतों के लिए सहायता राशि देने का निर्णय लिया गया था। इसके तहत धार्मिक स्थलों को धर्म के आधार पर नहीं बल्कि इमारत के आधार पर सहायता राशि देने की योजना थी।

दरअसल गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट के 2012 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें सरकार को कानून व्यवस्था बिगडने के आधार पर दंगों के दौरान 500 से ज्यादा धार्मिक स्थलों की मरम्मत के लिए मुआवजा देने आदेश दिए गए थे। याचिका पर जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस पीसी पंत ने सुनवाई की थी और 22 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 अगस्त 2013 को 8 फरवरी 2012 के हाईकोर्ट के आदेश पर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए थे और कहा था कि वो इस मुद्दे पर कानूनी पहलुओं पर विचार करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो ये तय करेगा कि कानून व्यवस्था में खामियों की वजह से धार्मिक स्थलों को होने वाले नुकसान पर अदालत राज्य को फंड जारी करने के लिए कह सकती है या नहीं? क्या कोर्ट संवैधानिक दायरे के भीतर ये आदेश जारी कर सकता है ?

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में गुजरात सरकार केजवाब को रिकार्ड पर लेते हुए इस्लामिक रिलीफ कमेटी ऑफ गुजरात को एक मई तक अपना लिखित जवाब देने केलिए कहा था। पीठ ने स्पष्ट किया कि जवाब में सांप्रदायिकता की बू नहीं आनी चाहिए |

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