Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

रेप पीडित बच्ची को फौरन दें एक लाख, सुप्रीम कोर्ट ने कहा पहचान उजागर हुई तो चलेगा अवमानना का मुकदमा

LiveLaw News Network
25 Aug 2017 12:43 PM GMT
रेप पीडित बच्ची को फौरन दें एक लाख, सुप्रीम कोर्ट ने कहा पहचान उजागर हुई तो चलेगा अवमानना का मुकदमा
x

चंडीगढ में 10 साल की रेप पीडित का मामले में गंभीरता दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ जिसा लीगल सर्विस अथारिटी को पीडिता और उसकी मां को फौरन एक लाख रुपये देने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि मुआवजे के 9 लाख रुपये की फिक्स डिपाजिट में रखे जाएं ताकि जरूरत पडने पर उन्हें दिया जा सके।

जस्टिस मदन बी लोकुर की बेंच ने सुनवाई के दौरान चंडीगढ प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि पीडिता और बच्चे की देखभाल का सारा खर्च वहन किया जाए। साथ ही पीडिता की काउंसलिंग उसके घर पर ही हो।

एमिक्स क्यूरी इंदिरा जयसिंह की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को कहा है कि पीडिता और इसके परिवार की पहचान गुप्त रखी जाए और अगर कोई पहचान उजागर करेगा तो उस कोर्ट की अवमानना का मामला चलेगा। अस्पताल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीडिता का असली मेडिकल रिकार्ड सील कवर में रखा जाए। साथ ही ये भी निर्देंश दिए हैं कि पब्लिक रिकार्ड में पीडिता का नाम ' X' लिखा जाए। शुक्रवार को हुई कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी इंदिरा जयसिंह को कहा कि पीडिता और उसके जैसी अन्य की मदद के लिंए कोई ट्रस्ट आदि के लिए योजना तैयार कर कोर्ट को दे।

 दरअसल वरिष्ठ इंदिरा जयसिंह का कहना था कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक रेप के मामले में कोर्ट से सजा होने के बाद ही मुआवजा व पुनर्वास किया जा सकता है। एेसे में छोटी बच्चियों के लिए कोई योजना बनाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट अब मामले की सुनवाई एक सितंबर को करेगा।

गौरतलब है कि 18 अगस्त 2017 को चंडीगढ़ में दस साल की रेप पीड़ित बच्ची के मामले में  सुप्रीम कोर्ट ने बच्ची को मुआवजा ना दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए चंडीगढ प्रशासन , नेशनल लीगल सर्विस अथारिटी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।  सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ प्रशासन के मामले में चार्जशीट दाखिल करने तक इंतजार करने के नियम को बेतुका करार दिया था।

जस्टिस मदन बी लोकुर की बेंच में सुनवाई के दौरान एमिक्स क्यूरी इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया था कि चंडीगढ में केस में चार्जशीट दाखिल होने तक रेप पीडित को मुआवजा नहीं दिया जाता। अभी तक उसे सिर्फ दस हजार रुपये ही दिए गए हैं पीडित बच्ची को दस लाख रुपये मुआवजा दिलाया जाए।

गौरतलब है कि  चंडीगढ़ के सरकारी अस्पताल में दस साल की रेप पीड़ित बच्ची ने गुरुवार को बेटी को जन्म दिया है। इस बच्ची से उसके मामा ने कई बार रेप किया था। बच्ची सेक्टर 32 के गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बीते दो दिनों से भर्ती थी।  चिकित्सकों का एक दल उसके स्वास्थ्य की निगरानी में लगा था।  बच्ची का प्रसव सिजेरियन के जरिए कराया गया। 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने 32 हफ्ते की गर्भवती 10 साल की बलात्कार पीड़ित के गर्भपात की अनुमति के लिए दायर याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहले, कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का अवलोकन किया, जिसमे कहा गया था कि गर्भपात करना इस लड़की और उसके गर्भ के लिए अच्छा नहीं होगा। चीफ  जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस धनन्जय वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने पीजीआई, चंडीगढ़ द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का संज्ञान लिया. यह मेडिकल बोर्ड बलात्कार पीड़ित लड़की का परीक्षण करने और गर्भपात की अनुमति देने की स्थिति के नतीजों का अध्ययन कर रिपोर्ट देने के लिए गठित किया गया था. कोर्ट ने कोर्ट में मौजूद सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि चूंकि बड़ी संख्या में इस तरह के मामले शीर्ष अदालत में आ रहे हैं, इसलिए जल्दी गर्भपात की संभावना के बारे में तत्परता से निर्णय लेने के लिए हर राज्य में एक स्थाई मेडिकल बोर्ड गठित करने के उसके सुझाव पर विचार किया जाए। इससे पहले चंडीगढ़ की जिला अदालत ने 18 जुलाई को इस बलात्कार पीड़िता को गर्भपात की इजाजत देने से इनकार करने के बाद वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट चिकित्सीय गर्भ समापन कानून के तहत 20 हफ्ते तक के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति देता है और वह भ्रूण के अनुवांशिकी रूप से असमान्य होने की स्थिति में अपवाद स्वरूप भी आदेश दे सकता है.

Next Story