जस्टिस चेलामेश्वर ने बीफ बैन जैसे मुद्दों पर साधा निशाना, कहा क्या खाएं, क्या पहनें ये निजता के दायरे में, सरकार नहीं कर सकती घुसपैठ
LiveLaw News Network
25 Aug 2017 5:22 PM IST
निजता के अधिकार पर फैसला सुनाते हुए 9 जजों की संविधान पीठ में शामिल जस्टिस जस्ती चेलामेश्वर ने अपने फैसले में ज्वलंत मुद्दों को भी छेडा है। हालांकि उन्होंने इन मुद्दों पर सीधे कुछ नहीं कहा है।
एेसे वक्त जब कई संगठन और राज्य सरकारें ये कह रहे हैं कि महिलाओं को किस तरह के कपडे पहनने चाहिएं ( जैसे जींस और मिनी स्कर्ट ना पहने) और बीफ खाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच जस्टिस चेलामेश्वर ने साफ कहा है कि आप क्या खाते हैं और क्या पहनते हैं, किसी दूसरे का इससे कोई लेना देना नहीं है। अगर कोई एेसा करता है तो ये निजता के अधिकार में घुसपैठ है।
जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि मेरे विचार से कोई भी अपनी इच्छा से ये नहीं चाहेगा कि सरकारी अफसर उनके घर में घुस आए या बिना उनकी मर्जी कोई सैनिक उनके घर में डेरा डाले। मुझे ये भी नहीं लगता किसी को ये अच्छा लगेगा कि राज्य सरकार उन्हें बताए कि उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या पहनना चाहिए या फिर अपनी निजी, सामाजिक और राजनीतिक जिंदगी में किसके साथ संबंध रखे।
उन्होंने लिखा है कि नागरिकों को अनुच्छेद 19(1) (c) से सामाजिक व राजनीतिक रूप से जुडने की आजादी मिलती है। निजी तौर पर जुडाव अभी संदेह के घेरे में है। लेकिन किसी से जुडने की आजादी, कहीं भी यात्रा करने और रहने की आजादी पूरी तरह निजी हैं और निजता के अधिकार के दायरे में आते हैं। ये अंतरंग मामलों में से एक है। सब उदार लोकतंत्र ये मानते हैं कि राज्यों को ये अधिकार नहीं होना चाहिए कि वो मानवाधिकारों के कुछ पक्षों पर अतिक्रमण करें और प्रशासन को संवैधानिक तौर पर लागू सीमित पैमाने पर ही रहना चाहिए। मौलिक अधिकार ही एकमात्र फायरवाल हैं तो मानव को संविधान से हासिल आजादी के मूल रूप में राज्य के दखल से बचाती है। निश्चित तौर पर निजता का अधिकार इन मूल आजादी में से एक है जिसका बचाव किया जाना चाहिए।
जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा है कि निजता अनुच्छेद 21 से साथ लिबर्टी का हिस्सा है। इसलिए वो अपने साथी जजों के साथ ये राय रखते हैं।