तीन तलाकः शुरुआत में लगा सुप्रीम कोर्ट का एक ही मत

LiveLaw News Network

23 Aug 2017 4:26 PM GMT

  • तीन तलाकः शुरुआत में लगा सुप्रीम कोर्ट का एक ही मत

    सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर जब फैसला सुनाया तो शुरुआत में कुछ लोगों को कंफ्यूजन हुआ कि तीन तलाक का फैसला एक मत से है।

    चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि तीन तलाक पर्नसल लॉ का पार्ट है और ये आस्था का विषय है और 1400 सालों से ये आस्था चली आ रही है। ये संविधान के अनुच्छेद-25 का उल्लंघन नहीं करता है और इस तरह संविधान में इसे संरक्षण मिला हुआ है। सरकार को इस मामले में कानून बनाना चाहिए। इसके बाद कई टीवी चैनल के रिपोर्टर्स ने खबर ब्रेक किया। चैनल में खबर ब्रेक करने की होड़ के कारण ऐसा हुआ और चैनल ने ये खबर चलाया कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने बहाल रखा है।

    कई जर्नलिस्ट ने कोर्ट रूम से बाहर जाकर न्यूज चलाया और सोचा कि पूरे बेंच ने यही फैसला लिया है। लेकिन मामले में तब मोड़ आ गया जब जस्टिस कुरियन जोसेफ ने जजमेंट का पार्ट पढ़ना शुरु किया औऱर कहा कि वह चीफ जस्टिस के मतों से अलग मत रखते हैं। चीफ जस्टिस और जस्टिस अब्दुल नजीर ने 275 पेज में अपना मत दिया था। लेकिन वह अल्पमत का फैसला था। जस्टिस कुरियन ने जब फैसला पढ़ा उसके फौरन बाद जस्टिस आर. एफ . नरीमन ने ऑपरेटिव पार्ट पढ़ा और कहा कि वह चीफ जस्टिस के मत से सहमत नहीं हैं। साथ ही कहा कि जस्टिस यूयू ललित भी हमारे मत से सहमत हैं। इसके बाद पूरी कहानी ही बदल गई। जस्टिस नरीमन ने कहा कि जस्टिस ललित उनके मत से सहमत हैं औऱ बहुमत का ये फैसला है।

    इसके फौरन बाद कोर्ट रूम में मौजूद वकीलों के बीच ये चर्चा होने लगी कि चीफ जस्टिस का मत अल्पमत में आ गया है। इसके बाद चीफ जस्टिस ने जजमेंट पर दस्तखत किए और आखिरी लाइन पढ़ी जिसमें कहा गया कि 3ः2 के अनुपात से बहुमत से तीन तलाक यानी तलाक ए बिद्दत को खारिज किया जाता है।

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