लोगों के करोडों रुपये सडकों पर खर्च , फिर भी हैं परेशानी : गुजरात हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
21 Aug 2017 7:55 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद की खस्ताहाल सडकों पर नाराजगी जताते हुए अहमदाबाद नगर निगम से सडकों के कांट्रेक्ट और मरम्मत संबंधी वर्क आर्डर की चार हफ्ते में विजिलेंस रिपोर्ट मांगी है।
हाईकोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीएन कारिया की बेंच ने कहा है कि एेसा लगता है कि निगम ने लोगों के टैक्स के करोडों रुपये खर्च कर दिए लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। एेसे में या तो सडकें बनाई ही नहीं गई या फिर उनका रखरखाव सही से नहीं हुआ जिसकी वजह से आम नागरिक परेशान हो रहे हैं।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस पर करोडों रुपये खर्च किए गए हैं तो लोगों को ये उम्मीद रहती है कि निगम अच्छी ये सुनिश्चित करेगा कि शहर की सडकें अच्छी रहें। हालांति एेसा लगता है कि कांट्रेक्टर द्वारा सडक निर्माण या मरम्मत में घटिया सामग्री लगाने या फिर सडकों के लिए कोई वैज्ञानिक तरीका ना होने की वजह से अहमदाबाद शहर की सडकों को बडे पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। ये भी कहा जा सकता है कि संबंधित अफसर इस मामले में प्रथम दृष्टया अपनी वैधानिक डयूटी निभाने में नाकाम रहे हैं।
दरअसल हाईकोर्ट मुश्ताक कादरी की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें कहा गया है कि एजेंसियों को ये आदेश दिए जाएं कि वो सही तरीके से सडकों का निर्माण करें और भविष्य में कोई चूक ना हो इसके लिए बकायदा मैकेनिज्म तैयार करें। कादरी की दलीलों से सहमति जताते हुए हाईकोर्ट ने अहमदाबाद के निगम आयुक्त को आदेश दिए हैं कि वो खराब सडकों की मरम्मत का काम करें और इस बारे में सुनवाई के दिन 11 सितंबर को एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करें। हाईकोर्ट ने कुछ आदेश भी जारी किए हैं। इनके मुताबिक निगम का विजिलेंस सेल चार हफ्तों में सडकों की खराब हालत का जायजा लेगा और कांट्रेक्टर व संबंधित अफसर की भूमिका की जांच करेगा। ये जांच आयुक्त की निगरानी में होगी और वो तय करेंगे कि ये जांच पारदर्शी, निष्पक्ष और सही तरीके से हो।
इसके अलावा आयुक्त हलफनामा दाखिल कर बताएंगे कि दो साल में सडक निर्माण या रखरखाव के लिए कितना बजट रखा गया। दो साल में इसके लिए कांट्रेक्टर या किसी अन्य को कितना पैसा दिया गया। आयुक्त कांट्रेक्टरों की सूची और नियम व शर्तें कोर्ट में दाखिल करेंगे। अभी तक कांट्रेक्टरों को दिया गया पैसा और बकाया राशि की जानकारी दी जाए। संबंधित एजेंसी द्वारा रखी जाने वाली मेजरमेंट बुक और भुगतान का हिसाब किताब दिया जाए।
साथ ही हाईकोर्ट ने कहा है कि निगम आयुक्त सडकों की शिकायत करने के लिए लोकल अखबारों में विज्ञापन देंगे और शिकायत निवारण प्रकोष्ठ या संबंधित एजेंसी का टोलफ्री नंबर जारी करेंगे।