समान कार्य और समान शैक्षणिक योग्यता वाले पद के लिए समान वेतन भी हो : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
21 Aug 2017 2:27 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समान पद, समान कार्य और समान शैक्षणिक योग्यता होने पर समान वेतन भी होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये व्यवस्था पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी जिसमें हाईकोर्ट से उस आदेश को चुनौती दी गई है हाईकोर्ट ने कहा था कि 8 जुलाई 1995 से पहले भर्ती किए गए वोकेशनल मास्टर को वोकेशनल लेक्चरर के बराबर वेतन मिलना चाहिए।
दरअसल पहले वोकेशनल मास्टर के लिए पहले डिग्री की योग्यता रखी गई थी लेकिन 1992-1993 में इसमें बदलाव कर डिप्लोमा कर दिया गया। इसकी वजह से वोकेशनल मास्टर के दो वर्ग हो गए। एक डिग्री धारक और दूसरा डिप्लोमा धारक। फिर डिग्रीधारक वोकेशनल मास्टर को इस शर्त पर वोकेशनल लेक्चरर बना दिया गया कि उनकी जवाबदेही और वित्तीय मामलों में कोई बदलाव नहीं होगा। चौथे वेतन आयोग से पहले दोनों वर्गों के कार्य और वेतन समान थे लेकिन इसके बाद वोकेशनल मास्टर का वेतन वोकेशनल लेक्चरर से कम कर दिया गया।
पंजाब सरकार ने 16 जुलाई 2003 को एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि जो वोकेशनल मास्टर 18 जुलाई 1995 से पहले नियुक्त हुए या उन्होंने इस तारीख से पहले डिग्री हासिल की, उन्हें ही वोकेशनल लेक्चरर के समान वेतनमान मिलेगा। सरकार के इस नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया कि 8 जुलाई 1995 से पहले नियुक्त हुए सभी वोकेशनल मास्टर को वोकेशनल लेक्चरर के समान वेतनमान मिलना चाहिए।
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समान कार्य, समान वेतन यहां भी लागू होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 8 जुलाई 1995 से पहले भर्ती हुए वोकेशनल मास्टर भी वही कार्य कर रहे थे जो वोकेशनल लेक्चरर कर रहे थे। इतना ही नहीं नियुक्ति के वक्त डिग्रीधारक और डिप्लोमाधारक एक ही चयन प्रक्रिया के जरिए भर्ती हुए। इसलिए कोर्ट ने पाया कि दोनों वर्गों के बीच में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता और सब समान वेतनमान पाने के हकदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि शैक्षणिक योग्यता या अलग कार्य होने पर अलग वेतन को अनुमति दी जा सकती है लेकिन नियुक्ति के वक्त समानता के आधार एक जैसा कार्य और वेतन दिया गया हो तो बाद में इसे बदला नहीं जा सकता जब तक कि कोई ठोस दलील ना दी जाए। अगर किसी के कार्य में बडा बदलाव किया गया हो तो ज्यादा वेतन दिया जा सकता है। इसी तरह किसी पद के लिए ऊंची शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गई है तो अधिकतम वेतनमान दिया जा सकता है। लेकिन किसी पद के लिए शुरुआत में एक जैसा काम और योग्यता दी जाती है और बाद में बदलाव होता है तो अदालत को इसे मंजूर नहीं करना चाहिए जब तक इसके लिए कोई उचित कारण ना दिया जाए।