एनडीएमसी इलाके में प्रॉप्रटी टैक्स देने वालों को भारी राहत, दिल्ली हाई कोर्ट ने बॉयलॉज को अमान्य करार दिया जिनसे लिया है ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स उसे एनडीएमसी वापस करेगी प्रॉपर्टी टैक्स

LiveLaw News Network

19 Aug 2017 7:44 AM GMT

  • एनडीएमसी इलाके में प्रॉप्रटी टैक्स देने वालों को भारी राहत, दिल्ली हाई कोर्ट ने बॉयलॉज को अमान्य करार दिया  जिनसे लिया है ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स उसे एनडीएमसी वापस करेगी प्रॉपर्टी टैक्स

    एनडीएमसी (न्यू डेल्ही म्युनिसिपल काउंसिल) इलाके में प्रॉपर्टी टैक्स पेमेंट करने वालों को भारी राहत मिली है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एनडीएमसी (डिटरमिनेशन ऑफ एन्युअल रेंट ) बायलॉज 2009 को खारिज कर दिया है। साथ ही कहा है कि उसने इस दौरान जो प्रॉपर्टी टैक्स वसूलें हैं उसे वापस किया जाए।

    बॉयलॉज में बदलाव कर कहा गया था कि लैंड और बिल्डिंग की सालाना टैक्स लगेगी। इसके लिए यूनिट एरिया मानक (यूएएम) तय की गई थी।  यूएएम के तहत पहला यूनिट एरिया वैल्यू (यूएवी) के तहत प्रति वर्ग फीट व मीटर के तहत रेट तय किया गया था इसके लिए लोकेशन, अकुपेंसी और निर्माण के समय को मानक बनाया गया था। साथ ही यूएवी को बाद में खाली लैंड से गुणा कर सालाना दर तय किया जा रहा था।

    हाई कोर्ट में एनडीएमसी द्वारा इस तरह लिए जा रहे टैक्स के खिलाफ 28 अर्जियां दाखिल की गई थी और उस प्रावधान को चुनौती दी गई थी जिसके तहत खाली पड़े लैंड के लिए भी प्रॉपर्टी टैक्स वसूला जा रहा था। याचिका में कहा गया था कि लुटियन जोन में अधिकांश इलाका ओपन है और वहां कंस्ट्रक्शन की इजाजत नहीं है या फिर वह एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के अंतर्गत हैं। नया लॉ पहले से बनाए गए एनडीएमसी एक्ट के बिल्कुल अलग था। जस्टिस एस. मुरलीधर औऱ जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि नए प्रावधान में यूएएम तय करने के लिए यूएवी के तहत संपत्ति के प्रकार को देखा जा रहा था और फिर उसे खाली लैंड से गुणा करने के बाद सालाना रेट तय किया जा रहा था जो पहले के एनडीएमसी एक्ट से अलग था। बेंच ने कहा कि ये शॉर्ट कट तरीका था। अदालत ने नए प्रावधान के तहत लिए गए तमाम एनडीएमसी के एक्शन को अवैध करार दे दिया। इसके तहत जो भी टैक्स लिया गया था या फिर लेवी चार्ज किया गया था वह सब अमान्य हो गया। कोर्ट ने कहा कि नए बायल़ज के तहत जो भी डिमांड एनडीएमसी द्वारा किया गया वह सब अमान्य करार दिया जाता है औऱ गैर बाध्यकारी घोषित किया जाता है।

    अदालत ने कहा कि जो आदेश पारित किया गया है उसके आलोक में जो भी ज्यादा टैक्स चार्ज किया गया है वह रिफंड किया जाएगा। लेकिन साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो भी रिफंड होगा वह कानूनी प्रक्रिया केतहत होगा। एनडीएमसी एक्ट के तहत उसका इंट्रेस्ट भी देखा जाएगा। अदालत ने कहा कि एनडीएमसी एक्ट के तहत जब रिफंड का आंकलन हो जाएगा तो टैक्स देने वालों के लिए ये ऑप्शन होगा कि वह कानूनी उपचार का इस्तेमाल करें। रिफंड ब्याज के साथ होगा और इसके लिए उचित स्टेज पर कानूनी उपचार का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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