देश की सभी निचली अदालतों में लगें सीसीटीवी कैमरे, न्याय के हित में जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

17 Aug 2017 9:34 AM GMT

  • देश की सभी निचली अदालतों में लगें सीसीटीवी कैमरे, न्याय के हित में जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में देश की सभी निचली अदालतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से कहा है कि वह तमाम निचली अदालत में सीसीटीवी लगाएं और वो इसमें ऑडियो रेकॉर्डिंग भी करवा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट एक महीने में सीसीटीवी लगाने का शेड्यूल तैयार करें और दो महीने में इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करें।

    इससे पहले हाई कोर्ट को आदेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में दो-दो जिला अदालतों में सीसीटीवी लगाने के लिए कहा था।

    सोमवार को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक हाई कोर्ट से कहा है कि वह तमाम निचली अदालतों में जहां भी उचित लगे सीसीटीवी लगा सकते हैं। पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि विडियो के साथ-साथ ऑडियो रेकॉर्डिंग भी हो सकता है।

     वहीं जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने केंद्र सरकार से भी कहा है कि वह देश भर के ट्रिब्यूनल की कार्यवाही की रेकॉर्डिंग पर विचार करें।

     साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की रेकॉर्डिंग पर भी विचार होना चाहिए।

    दरअसल इसी साल 28 मार्च को प्रद्युमन बिष्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के तमाम हाई कोर्ट से कहा था कि प्रत्येक राज्य औऱ केंद्र शासित प्रदेश में दो जिलों में निचली अदालतों में कोर्ट रूम में सीसीटीवी लगाया जाए। साथ ही जहां जरूरी समझा जाए वहां लगाया जाए।

    इस बारे मे ASG  सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने रिपोर्ट पेश की और कहा कि 12 हाई कोर्ट की ओर से रिपोर्ट आई है कि दो-दो जिलों में कोर्ट के निर्देश के मुताबिक सीसीटीवी लगाया गया है। इस दौरान सिंह ने दलील दी कि ऑडियो रेकॉर्डिंग भी होनी चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रिबयूनल की कार्रवाही की भी रेकॉर्डिंग होनी चाहिए।

    इस दौरान जस्टिस गोयल ने पूछा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का क्या होना चाहिए ? विदेश में तो संवैधानिक बेंच की कार्यवाही की विडियो औऱ ऑडियो रेकॉर्डिंग होती है। ये निजता का मामला नहीं है। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में तो ऑडिओ और विडियो रेकॉर्डिंग होती है और लोग यू ट्यूब पर देख सकते हैं अपने मोबाइल में कार्यवाही देख सकते हैं।

    ASG का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट की ई कमिटी ने इसे नकार दिया था। तब सुप्रीम कोर्टने कहा कि वो तो प्रशासनिक आदेश था। जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि कोर्ट ऑफ रेकॉर्ड का मतलब तो ये होता है कि सभी चीजों का रेकॉर्ड हो इससे कार्यवाही में बाधा नहीं आएगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश देते हुए साफ किया है कि कोर्ट की कारवाई की ये रेकॉर्डिंग सावर्जनकि नहीं की जाएगी और ना ही ये RTI के दायरे में आएगी। कोर्ट ने कहा कि पेश दलीलों व रिपोर्ट से वो सहमत  हैं कि अदालती कारवाई की रिकार्डिंग न्याय के हित में है लेकिन   हाईकोर्ट जिन मामलों में सही समझे, इसके अलावा रिकार्डिंग को किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस रिकार्डिंग को तीन महीने तक रखा जाएगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं तकनीकी मंत्रालय को कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट की ई कमेटी से परामर्श लेकर सीसीटीवी कैमरों के मूल्य, तकनीकी विशेषताओं व सर्विस प्रोवाइडर संबंधी जानकारी हाईकोर्ट को दें।

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