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गोरखपुर घटना की कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका

LiveLaw News Network
17 Aug 2017 8:10 AM GMT
गोरखपुर घटना की कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका
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गोरखपुर में 65 बच्चों की मौत के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मामले की कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत के मामले में दोषी पर कार्रवाई होनी चाहिए।

यूथ बार असोसिएशन ऑफ इंडिया और एडवोकेट सक्षम श्रीवास्तव व शिखर अवस्थी ने पीआईएल दाखिल की है और सीबीआई जांच की मांग की है। इस मामले में कोर्ट की निगरानी में समयबद्ध जांच की मांग की गई है। घटना में 65 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ऑक्सिजन की सप्लाई बाधित होने की वजह से बच्चों की मौत हुई थी। याचिका में कहा गया है कि मामले की सीबीआई जांच हो या फिर कोर्ट जो उचित समझे वह आदेेश पारित करे ताकि दोषियों को सजा मिल सके। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट की निगरानी में छानबीन होनी चाहिए ताकि निष्पक्ष औऱ स्वतंत्र जांच सुनिश्चित हो सके। एडवोकेट अनूप त्रिवेदी और सक्षण श्रीवास्तव की ओर से पीआईएल पर उक्त दलीलें पेश की गई।

 कोर्ट मामले में डिटेल जांच रिपोर्ट मांगे और तमाम रिपोर्ट को तलब करे। सरकार ने जो मैजेस्टेरियल जांच और अन्य जांच के आदेश दिए हैं वह तमाम रिपोर्ट मांगी जाए। जनहित याचिका में यूपी सरकार, डायरेक्टर जनरल मेडिकल और हेल्थ सर्विस, डीएम गोरखपुर, सीएमओ बीआरडी कॉलेज और पूर्व प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को प्रतिवादी बनाया गया है। साथ ही ऑक्सिजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स कंपन को भी प्रतिवादी बनाया गया है।

पीआएल में कहा गया है कि पुष्पा सेल्स कंपनी लिक्विड ऑक्सिजन सप्लायर है और 69 लाख रुपये की बिल पेमेंट नहीं होने के काऱण सप्लाई बंद कर दिया था जिस कारण ये दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ।

इस मामले में ठेकेदार ने आवश्यक सेवा मेंटेनेंस एक्ट 1981 का उल्लंघन किया है। जहां अस्पताल की सप्लाई आवश्यक सेवा मेंटेनेंस एक्ट में आता है। एक्ट की धारा 2 (1)(ए)(एक्स) के तहत आवश्यक सेवा की सप्लाई बाधित नहीं की जा सकती। यूपी सरकार के तमाम अधिकारी अलग-अलग बयान दे रहे हैं। सरकार ने ऑक्सिजन की कमी के कारण मौत होने की बात को नकारा है लेकिन बीआरटी कॉलेज के प्रिंसिपल को समय पर ऑक्सिजन सप्लाई करने वाली कंपनी को पेमेंट न करने पर सस्पेंड किया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि ये समय इस के लिए अभी नहीं है कि किसकी गलती है। बल्कि अभी जिनके घरों के बच्चे मरे हैं वह पीडि़त हैं। और ऐसे में इसबात का पता लगाना जरूरी है कि  घटना लापरवाही के कारण हुई है या फिर करप्शन की संलिप्तता है। इस मामले में सिर्फ सीबीआई जांच से ही असलियत सामने आ सकती है और दोषियों पर कार्रवाई हो सकती है। याचिका में कहा गया है कि राजस्थान और तमिलनाडु ने राज्य मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन बनाया है जो मेडिकल सर्विस और उपकरण की सप्लाई करती है। सरकार मॉनिटर करती है और पता रहता है कि अस्पतालों में स्टॉक कितना है।


 
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