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सभी संस्थान की ड्यूटी कि वह विकलांगता की शिकार को मदद करेः सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
14 Aug 2017 3:41 PM GMT
सभी संस्थान की ड्यूटी कि वह विकलांगता की शिकार को मदद करेः सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि थैलेसिमिया की मरीज का मेडिकल एग्जामिनेशन किया जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि वह विकलांगता की श्रेणी में है। राइट टु पर्सन विद डिसेब्लिटी एक्ट 2016 के दायरे में वह आती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देखने की है कि प्रत्येक संस्थान को विकलांगता के शिकार लोगों की सहायता के लिए तत्पर रहना चाहिए। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानिविलकर की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता का मेडिकल एग्जामिनेशन किया जाए औऱ फिर उसकी रिपोर्ट 18 अगस्त को कोर्ट के सामने पेश किया जाए।

याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि विकलांगता के शिकार के लिए पांच फीसदी सीट रिजर्व है। कोर्ट ने कहा कि जो भी कानूनी प्रावधान है उसी सही तरह अमल किया जाना जरूरी है। एक्ट ऐसे लोगों के वेलफेयर के लिए बनाया गया है। इसे सही नजरिये से देखना होगा ताकि इस पर अमल हो और लोगों को लाभ मिले। एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) ने कहा कि पहले याचिकाकर्ता का मेडिकल बोर्ड का गठन कर मेडिकल एग्जामिनेशन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इससे सहमति जताई औऱ छत्तीसगढ़ के वकील सीडी सिंह से कहा है कि वह उचित अथॉरिटी द्वारा मेडिकल बोर्ड का गठन करवाएं और याचिकाकर्ता का मेडिकल एग्जामिनेशन 16 अगस्त को कराया जाए और फिर रिपोर्ट पेश की जाए।

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