कानून मंत्रालय ने सभी हाईकोर्ट से कोर्ट मैनेजमेंट को लेकर तैयार ड्राफ्ट बिल पर मांगे विचार
LiveLaw News Network
13 Aug 2017 7:34 PM IST
कानून मंत्रालय ने देश के सभी हाईकोर्ट से कोर्ट मैनेजमेंट को लेकर तैयार ड्राफ्ट बिल पर उनके विचार मांगे हैं।
ड्राफ्ट मॉडल कोर्ट बिल 2017 गुजरात लॉ यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर रिसर्च डा. कल्पेशकुमार. एल. गुप्ता ने तैयार किया है। ये ड्राफ्ट बिल 21 जुलाई 2017 को सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजा गया है ताकि हाईकोर्ट इस पर अपने विचार रख सकें।
गौरतलब है कि डा. गुप्ता ने अक्टूबर 2013 में ही लाइव लॉ पर लिखे अपने लेख “Induction of National Court Management Authority in Indian Judicial System: Need of the Hour”. में इसकी जरूरत बताई थी।
उन्होंने लिखा था कि मैराथन की तरह कोर्ट केस लोगों के संविधान के आर्टिकल 21 में दिए जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन कर रहे हैं।
अब वो वक्त आ गया है जब लोग जल्द ट्रायल की मांग कर रहे हैं। वो नहीं चाहते कि जो केस उन्होंने दाखिल किए हैं उनकी अगली पीढी उनके फैसले सुने। वो यही बता रहे थे कि लंबित केसों की बढती संख्या भी आर्टिकल 21 के तहत अधिकार का हनन है।
जानकारी के मुताबिक उनका बिल कोर्ट मैनेजमेंट को परिभाषित करता है जिसमें गैर न्यायिक पहलुओं की शामिल हैं जो जस्टिस डिलीवरी सिस्टम को प्रभावी बनाने में सहायक हैं। इनमें केस प्रबंधन, ह्युमन रिसोर्सेज मैनेजमेंट, सूचना तकनीक प्रबंधन और सरंचना प्रबंधन भी हैं।
इसके तहत प्रस्ताव दिया गया है कि रिटायर्ड चीफ जस्टिस अॉफ इंडिया की अध्यक्षता में नेशनल कोर्ट मैनेजमेंट अथारिटी (NCMA) का गठन किया जाए। इसमें
- सुप्रीम कोर्ट के जो रिटायर जज
- कानून व न्याय मंत्रालच के अंडर सेकेट्री
- ह्यूमन रिसार्सेज एंड डवलपमेंट मंत्रालय के अंडर सेकेट्री
- इंफॉरमेशन टेक्नॉलाजी मंत्रालय के अंडर सेकेट्री
- मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिक्स एंड प्रोग्राम इंपलीमेंटेशन के अंडर सेकेट्री शामिल हों।
सभी सदस्य प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और क कैबिनेट मंत्री की कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेंगे।
इस बिल में प्रस्ताव दिया गया है कि NCMA के कार्य इस प्रकार होंगे।
- केस प्रबंधन, ह्युमन रिसोर्सेज मैनेजमेंट, सूचना तकनीक प्रबंधन और सरंचना प्रबंधन समेत भारतीय न्याय प्रणाली का संपूर्ण प्रबंधन
- रीजनल कोर्ट मैनेजमेंट अथारिटी से सब सेक्शन (1) में दी गई सभी गतिविधियों का समन्वय
- राष्ट्रीय न्यायिक परीक्षा आयोग की मदद से अखिल भारतीय जज परीक्षा का आयोजन
- ऑल इंडिया बार एक्जाम सेल/ डिवीजन की मदद से ऑल इंडिया बार एक्जाम का आयोजन
- नेशनल कोर्ट मैनेजमेंट अथारिटी की मदद से ट्रेनिंग, रिसर्च और डवलपमेंट की गतिविधियों का आयोजन
- नेशनल कोर्ट मैनेजमेंट अथारिटी नेशनल लीगल सर्विस अथारिटी और स्टेट लीगल सर्विस अथारिटी की लोगो को कानूनी सहायता मुहैया कराने में लोगों व निशुल्क वकीलों के बीच में मुख्यत : सूचना तकनीक के माध्यम से संपर्क करने में सहायता करेगी।
- वो अन्य कार्य जो वक्त वक्त पर तय किए जाएं।
इसके अलावा बिल में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता रीजनल कोर्ट मैनेजमेंट अथारिटी की स्थापना का प्रस्ताव है।
खास बात ये है कि इसमें निचली अदालतों के लिए राष्ट्रीय न्यायिक परीक्षा आयोग बनाने और अखिल भारतीय जज परीक्षा का आयोजन कराने की बात भी है। इस पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कानून मंत्रालय के न्याय विभाग की सचिव स्नेहलता श्रीवास्तव के पत्र पर संज्ञान लिया है।
इस संबंध में वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कांसेप्ट नोट भी दिया था और कहा था कि निचली अदालतों के लिए केंद्रीयकृत चयन प्रक्रिया होनी चाहिए। हालांकि इसके बाद खबर आई कि 9 हाईकोर्ट ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है जबकि 8 ने फ्रेमवर्क में बदलाव की मांग की है। सिर्फ दो हाईकोर्ट इसके समर्थन में हैं
कानून एवं न्याय की संसदीय सुझाव समिति को भेजे कागजात में कहा गया है कि 24 हाईकोर्ट निचली अदालतों पर अपना नियंत्रण रखना चाहते हैं।