दिल्ली सरकार तीन महीने में डोमेस्टिक वर्करों को रजिस्टर्ड करेः सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
12 Aug 2017 6:34 PM IST
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कुरियन जोसेफ औऱ जस्टिस आर. भानुमति की बेंच ने 4 अगस्त को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह डोेमेस्टिक वर्करों के रजिस्ट्रेशन के लिए पायलट प्रोजेक्ट पर काम करे। डोमेस्टिक वर्करों को गैर संगठित वर्कर्स सोशल सेक्युरिटी एक्ट 2008 के तहत रजिस्टर्ड किया जाना है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट पर तीन महीने में काम करने को कहा कहा गया है। इस मामले में 2012 में श्रमजीवी महिला समिति ने एसएलपी दायर की थी। जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से तीन महीने में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने नई गठित नैशनल सोशल सेक्युरिटी बोर्ड से कहा है कि वह इस मामले में उठाए गए कदम के बारे में रिपोर्ट फाइल करे कि गैर संगठित क्षेत्र के वेलफेयर के लिए क्या काम किए हैं। खासकर डोमेस्टिक वर्कर के बारे में क्या काम हुए हैं एक महीने में ये रिपोर्ट मांगी गई है।
इससे पहले नैशनल लीगलल सर्विस अथ़ॉरिटी (नालसा) ने कहा था कि डोमेस्टिक वर्करों के पास पहुंचना मुश्किल है। याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने सुझाव दिया कि लेबर डिपार्टमेंट आऱडब्ल्यूए और नालसा के पैरा लीगल स्वयंसेवकों के साथ डोमेस्टिक वर्करों के पास पहुंच कर उन्हें न्याय दिला सकते हैं।
24 मार्च को बेंच ने कहा था कि नैशनल सोशल सेक्युरिटी एक्ट 2008 में प्रावधान है कि स्कीम बनाई जाए। बेंच ने कहा कि ये भी बताया गया है कि केंद्र सरकार की छह स्कीम है जो गैर संगठित वर्करों के लिए है। 2009 में एनएसएसबी बनाया गया था और फिर दोबारा उसे 2013 में पुनर्गठित किया किया गया। 2016 में टर्म खत्म होने के बाद कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इसे एक महीने में बनाया गया।
गोन्जाल्विस ने कोर्ट को बताया कि एक्ट 2008 में बनाया गया और कई स्कीम भी बनाई गई लेकिन कोई भी डोमेस्टिक वर्कर उसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। दरअसल ये डोमेस्टिक वर्कर लाभ से इसिलए वंचित हो रहे हैं क्योंकि ये रजिस्टर्ड नहीं हैं।
कोर्ट को ये भी बताया गया कि कोई भी जिला प्रशासन गैर संगठित वर्करों के रजिस्ट्रेशन के लिए कदम नहीं उठा रहा है और न ही उन्हें कोई आई कार्ड जारी किया गया है। वैसे भी कोई भी डोमेस्टिक वर्कर खुद से आगे नहीं आ रहे कि उन्हें रजिस्टर्ड किया जाए। इसलिए लीगल सर्विस कमिटी से जुड़े पारा लीगल वॉलंटियर के जरिये कैपेंन चलाया जाए। इस मामले में एसएलपी की शुरुआत दिल्ली हाई कोर्ट के जजमेंट के बाद हुआ था। दिल्ली हाई कोर्ट ने वेस्ट बंगाल के 256 महिलाओं और बच्चों जो कि डोमेस्टिक वर्कर के तौर पर काम कर रहे थे उनके पुनर्वास के आदेशदिए थे। ये वर्कर बिना मजदूरी के काम कर रहे थे।