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अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में एक और मोड, 71 साल बाद शिया वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत के आदेश को दी चुनौती

LiveLaw News Network
10 Aug 2017 4:34 PM GMT
अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में एक और मोड, 71 साल बाद शिया वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत के आदेश को दी चुनौती
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अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में एक और मोड आ गया है। बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक की कानूनी लड़ाई हारने के करीब 71 साल बाद शिया वक्फ बोर्ड अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शिया वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर अपनी दावेदारी जताते हुए यह भी कहा है कि मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी।

दरअसल रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में वे याचिकाएं भी शामिल हैं जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने साल 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लल्ला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश को चुनौती दी गई है। इस मामले में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के कूदने के बाद सरगर्मी बढ़ गई थी। उन्होंने तीन बार चीफ जस्टिस जेएस खेहर के सामने जल्द  सुनवाई की गुहार लगाई थी।  सात साल से लंबित मामले में अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है और अब शिया वक्फ बोर्ड भी इसमें कूद पड़ा है।

शिया वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत द्वारा 30 मार्च,1946  को दिए उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें बाबरी मजिस्द पर शिया वक्फ बोर्ड की दावेदारी मानने से इनकार कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बोर्ड ने कहा है कि चूंकि इससे संबंधित सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं इसलिए उन्होंने निचली अदालत केफैसले को सीधे। सुप्रीम कोर्ट  में चुनौती दी है। अपनी याचिका में बोर्ड ने कहा है कि बाबरी मस्जिद मुगल राजा बाबर ने नहीं बल्कि उनके मंत्री अब्दुल मीर बाकी ने बनवाया था। बोर्ड का यह भी कहना है कि मीर बाकी ने अपने पैसे से इसका निर्माण कराया था और मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था। चूंकि मीर बाकी शिया मुसलमान था लिहाजा यह शिया वक्फ की संपत्ति है। याचिका में कहा गया कि निचली अदालत का यह आदेश गलत है जिसमें बाबरी मस्जिद को शिया वक्फ की संपत्ति मानने से इनकार कर दिया गया था।
सवाल ये शिया वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट विचार करता है या नहीं क्योंकि बोर्ड ने 71 साल के बाद निचली अदालत के आदेश को सीधे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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