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जस्टिस श्रीकृष्णा कमिटी ने केंद्र को इंस्टिट्यूशनल आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता संस्थान) पर सुझाव दिए

LiveLaw News Network
6 Aug 2017 5:42 AM GMT
जस्टिस श्रीकृष्णा कमिटी ने केंद्र को इंस्टिट्यूशनल आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता संस्थान) पर सुझाव दिए
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सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अगुवाई में कमिटी ने केंद्र सरकार को सिफारिश दी कि कैसे इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता संस्थान)  को प्रोत्साहित किया जाए। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंस्टिट्यूशनल आर्बिट्रेशन को प्रोमोट करने के लिए कमिटी की ओऱ से लॉ मिनिस्ट्री को सिफारिश दी गई है।

नरेंद्र मोदी सरकार कमर्शल विवादों को निपटाने के लिए कटिबद्ध है और इसके लिए इंडिया को आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता) के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्र बना रही है। केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने ये भी कहा कि 10 सदस्यीय कमिटी ने ये भी सुझाव दिया है कि एक स्वायत्त बॉडी बनाई जाए जो आर्बिट्रेशन को प्रोमोट करे और इसके लिए आर्बिट्रेशन प्रोमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया बनाई जाए जिसमें तमाम पक्षकार को बतौर प्रतिनिधि रखा जाए जो भारत में मध्यस्थता के समग्र प्रदर्शन और क्वालिटी को देखेगी। कमिटी ने ये भी कहा है कि नैशनल लिटिगेशन पॉलिसी आर्बिट्रेशन को प्रोत्साहित करने का काम करे। आर्बिट्रेशन प्रोमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया मान्यता प्राप्त आर्बिट्रेटर्स को भी मान्यता देगी। इसके लिए एक ट्रेनिंग और कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा और इस दौरान लॉ फर्म और लॉ स्कूल के ट्रेंड एडवोकेट भाग लेंगे और इस दौरान उद्देश्य ये होगा कि विशेषज्ञ मध्यस्थ तैयार होंगे। पैनल ने ये भी सुझाव दिया है कि इसके लिए कानून में कुछ बदलाव की दरकार है ताकि इंडिया मध्यस्थता के मामले में अंतरराष्ट्रीय केंद्र बन सकें। कमिटी में अन्य लोगों में हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस आरवी रवींद्रन, हाई कोर्ट के वर्तमान जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, सीनियर ए़डवोकेट केके वेणुगोपाल, इंदू मल्होत्रा, पीएस नरसिंम्हा शामिल हैं। कमिटी की रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद लॉ मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार इन सिफारिशों पर माकूल कदम उठाएगी औऱ कानून में बदलाव के लिए समग्र प्रयास करेगी ताकि इसको लागू किया जा सके।


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