26 साल पुरानी हत्या में हाई कोर्ट ने अारोपी को रिहा करने का आदेश दिया [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

3 Aug 2017 12:16 PM GMT

  • 26 साल पुरानी हत्या में हाई कोर्ट ने अारोपी को रिहा करने का आदेश दिया [निर्णय पढ़ें]



    26 साल पहले हुई हत्या के मामले में निचली अदालत ने आरोपी को हत्या का दोषी ठहराया था जिसे हाई कोर्ट ने बदलते हुए गैर इरादतन हत्या करार दिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरोपी परशुराम शंकर काम्बले को गैर इरादतन हत्या का दोषी माना और 10 साल कैद की सजा सुनाई। चूंकि इस दौरान कांबले सजा काट चुका है लिहाजा कोर्ट ने उसे रिलीज करने को कहा है।

    सुनवाई के दौरान कोर्ट को कांबले के वकील ने बताया कि वह 8 साल से ज्यादा जेल काट चुका है और सजा में छूट को शामिल कर लिया जाए तो 10 साल की सजा पूरी होती है। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कांबले को रिलीज करने को कहा है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस आरएम सावंत और जस्टिस एसएस जाधव की बेंच ने ये फैसला दिया है।

    केस का बैकग्राउंड

    अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना 26 साल पुरानी है। 13 जून 1991 को शिकायती बाबू छवन घर के बाहर अपनी पत्नी शारदा के साथ बैठा था। रात 10 बजे आरोपी आया और शारदा को गाली देने लगा। 15 मिनट तक गाली गलौच चलता रहा। जब इसका कारण आरोपी और उसकी पत्नी ने पूछा तो आरोपी चाकू लेकर आया और शारदा पर हमला कर दिया। इस दौरान पड़ोसी आ गए। शारदा को अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद मामले में छानबीन हुई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।

    अदालत का फैसला

    आरोपी के वकील और अभियोजन पक्ष के वकील की दलील के बाद कोर्ट ने ये महसूस किया है कि आरोपी ने जानबूझकर एक्ट किया है। पहले मौके से गया और चाकू लेकर वार करने की नियत से आया और विक्टिम पर वार किया। अभियोजन पक्ष ये साबित करने में सफल रही है कि चाकू से जख्म पहुंचाया गया और इससे उसकी मौत हुई। लेकिन अदालत ने ये माना कि दोनों में कोई पहले से दुश्मनी नहीं थी साथ ही हत्या का कोई मकसद साबित नहीं होता ऐसे में ये मामला गैर इरादतन हत्या का है। अदालत ने कहा कि आरोपी और मृतक पड़ोस में ही रहते थे। आपस में घटना को लेकर कोई मकसद नहीं दिख रहा है। चाकू लेकर आया और वार किया इसके पीछे गुस्सा हो सकता है। हत्या का मकसद नहीं था। ऐसे में हमारा मानना है कि ये मामला गैर इरादतन हत्या का बनता है। ऐसे में हत्या मामले को खारिज किया जाता है और उसे गैर इरादतन हत्या में बदला जाता है।






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