एमपीपीएससी पेपर लीक घोटालाः हाई कोर्ट ने अयोग्य कैंडिडेट की अर्जी खारिज की
LiveLaw News Network
16 July 2017 6:51 AM GMT
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने स्पेशल टार्स फोर्स (एसटीएफ) के सामने जो बयान दिया है वह एविडेंस एक्ट की धारा-27 के तहत पार्याप्त साक्ष्य हैं और इस आधार पर नियुक्ति से मना किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता ने एमपीपीएससी के 8 जुलाई 2016 के आदेश को चुनौती दी थी। महिला कैंडिडेट को स्टेट सिविल सर्विस एग्जाम में अयोग्य ठहराया गया था। आरोप लगाया गया था कि सिविस सर्विस एग्जामिनेशन के पेपर लीक में वह शामिल थीं। स्पेशल टास्क फोर्स ने इस मामले में 20 मई 2016 को याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस बेसिस पर कमिशन ने संज्ञान लेते हुए कैंडिडेट को डिसक्वालिफाई कर दिया था। एसटीएफ के सामने महिला याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया था कि उन्हें प्रारंभिक परीक्षा और मेन परीक्षा के सवालों के बारे में पहले से जानकारी थी। ये एग्जाम 22 फरवरी 2013 और 26 सितंबर 2013 से लेकर 29 सितंबर 2013 तक हुआ था। महिला ने ये भी बताया था कि वह बनारस किससे मिलने गई थी और प्रारंभिक परीक्षा का सवाल उसे मुहैया कराया था। बाद में वह विंध्याचल औऱ नई दिल्ली गई ताकि मेन एग्जाम का पेपर मिल सके। ये भी बताया था कि सवाल मोबाइल पर मिले थे और एफआईआर के तुरंत बाद मोबाइल को तोड़ दिया गया था।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने कहा कि एक आदमी को अपने कैरियर की शुरुआत की चीटिंग से करे उसकी नियुक्ति पर विचार नहीं हो सकता। अदालत ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता को कदाचार के मामले में अयोग्य ठहराया गया था। इस फैसले को हाई कोर्ट ने सही ठहराया है।