पेंडेंसी कम करने के लिए हाई कोर्ट ने जारी किया सर्कुलर कहा तीन बार सुनवाई टाले जाने का नियम लागू हो [नोटिस पढ़ें]

LiveLaw News Network

15 July 2017 5:33 AM GMT

  • पेंडेंसी कम करने के लिए हाई कोर्ट ने जारी किया सर्कुलर कहा तीन बार सुनवाई टाले जाने का नियम लागू हो [नोटिस पढ़ें]
    दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पीडी जस्टिस को सुनिश्चित करने के लिए तमाम जिले के डिस्ट्रिक कोर्ट के हेड से कहा है कि जो तय प्रक्रिया है उसे पालन किया जाए और अधिकतम तीन बार मामले की सुनवाई टाली जाए। इसके लिए एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने सर्कुलर जारी कियाहै।


    रजिस्ट्रार जनरल दिनेक कुमार शर्मा के जरिये जारी सर्कुलर में सुनवाई में तारीखें लगाने, टाइम लाइन, इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग और इलेक्ट्रॉनिक सर्विस ऑफ समन के मुद्दे को टच किया गया है।


    एक्टिंग चीफ जस्टिस की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि मामले में तारीख तब लगाई जाए जब उसके लिए ठोस कारण हो और दूसरे पक्ष की सहमति जानी जाए। तीन बार सुनवाई टाले जाने के रूल का पालन हो और फिर हर्जाना लगाया जाए। इस नियम को कड़ाई से पालन किया जाए।


    सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि तमाम प्रयास हो कि प्रत्येक तारीख में सुनवाई कारगर हो और तय टाइम लाइन में मामले की सुनवाई पूरी हो और केस का निपटारा हो सके।


    जस्टिस मित्तल ने कहा कि केस के निपटारे के लिए टाइम मैनेजमेंट तकनीक का पालन किया जाए। हाई कोर्ट ने जिला व सेशन जजों को जारी सर्कुलर में कहा है कि तमाम जूडिशियल वर्क इस तरह से आवंटित किया ताकि सीमित संशाधन का अधिकतम इस्तेमाल हो सके। हाई कोर्ट ने जूडिशियल ऑफिसरों से कहा है कि वह इलेक्ट्रॉनिक तरीके से समन को प्रोत्साहित करें। हाई कोर्ट ने इस बात को भी संज्ञान में लिया है कि सरकार द्वारा नियुक्त पैनल ने ये पाया है कि जो नियम तय है कि तीन बार सुनवाई टाले जाने और तारीख लगाए जाने के बाद हर्जाने का जो प्रावधान है उसका पालन 50फीसदी केसों में नहीं हो रहा है। इस कारण पेंडेंसी बढ़ रही है। पैनल ने कहा है कि पेंडेंसी को कम करने के लिए कानून के तहत तीन बार मामले की सुनवाई टाले जाने के नियम का कड़ाई से पालन हो।

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