विवाह पंजीकरण अनिवार्य किए जाने को लेकर विधि आयोग की सिफारिश [270 वीं रिपोर्ट पढें]

LiveLaw News Network

5 July 2017 1:23 PM GMT

  • विवाह पंजीकरण अनिवार्य किए जाने को लेकर विधि आयोग की सिफारिश [270 वीं रिपोर्ट पढें]

    विधि आयोग ने शादी के पंजीकरण को अनिवार्य बनाए जाने के लिए केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान की अगुवाई में 270 वीं रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई है और कहा गया है कि इस पर विचार किया जाए। शादी पंजीकरण को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर सिफारिश की गई है।

    विधि आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह, द्वै-विवाह और लिंग आधारित हिंसा जैसी सामाजिक बुराइयां है। वैवाहिक मामलों से संबंधित कानून, और परंपराओं में भिन्नताओं को देखते हुए अायोग ने प्रयास किया है कि एक अखिल भारतीय फ्रेमवर्क के तहत सभी तरह की शादियों को रजिस्टर्ड किया जाए चाहे शादी जैसे भी और जिस कस्टम के माध्यम से हुई हो।




    यूपीए दो के कार्यकाल में राज्यसभा में शादी रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता के लिए कानून लगाया गया था। लेकिन लोकसभा से बिल पास नहीं हो पाया था और बिल बेकार हो गया था। यूपीए 2 के समय ही बर्थ और डेथ रजिस्ट्रेशन ऐक्ट में बदलाव कर शादी रजिस्ट्रेशन के प्रावधान को बिल में लाया गया था। बाद में तीन साल पहले 2014 में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भी शादी रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता की हिमायत की थी । फिर हाल में सरकार ने लॉ कमिशन से इस बारे में रिव्यू करने को कहा था।


    कमिशन ने लॉ मिनिस्ट्री को रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कहा गया है किजन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन एक्ट के प्रावधान में शादी के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान को शामिल किया जाए। इसके लिए अलग से कानून की दरकार नहीं है। जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन कानून के तहत ही कानून में प्रावधान कर शादी का रजिस्ट्रेशन हो और तमाम तरह के परंपरागत शादी, मैरेज एक्ट, पर्सनल लॉ आदि के दायरे में होने वाली शादी का रजिस्ट्रेशन किया जाए। भारत में धार्मिक, कस्टम और परंपरा चल रहा है उसे नकारने की मंशा नहीं है बल्कि विवाह का रजिस्ट्रेशन उससे आगे की पूरक प्रक्रिया है। परंपरा  और पर्सनल लॉ का मामला वाइड यानी व्यापकता लिए हुए है और शादी रजिस्ट्रेशन सिर्फ प्रक्रियात्मक बदलाव की बात करता है ।


    जिस रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन करना है उसकी ही जिम्मेदारी है कि वह विवाह को पंजीकरण करेगा। कानून में प्रावधान होना चाहिए कि रजिस्ट्रेशन में अगर देरी होगा तो फिर लेट फीस भी लगेगी। इसके लिए प्रावधान दिया गया है कि शादी के एक महीने में रजिस्ट्रेशन कराना होगा बिना उचित और मजबूत कारण रजिस्ट्रेशन में देरी होने पर प्रति दिन 5 रुपये की पेनाल्टी लगाई जाए। विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि पंचायत, स्थानीय निकाय और म्युनिसिपल बॉडी जागरुकता के लिए काम करें कि तमाम शादियों को रजिस्टर्ड कराना होगा।  दंपती जब भी अपने जीवनसाथी का नाम कहीं भी लिखें तो प्रमाण के लिए शादी का सर्टिफिकेट अनिवार्य हो। चाहे कृषि लोन आदि हो यानी किसी भी सरकारी बेनिफिट के लिए जहां भी पति और पत्नी के नाम का जिक्र करना है वहां शादी का सर्टिफिकेट अनिवार्य होना जरूरी है। जरूरी है कि सेंट्रलाइज्ड नैशनल पोर्टल हो। ताकि रेकॉर्ड रखने में आसानी हो। हालांकि कुछ राज्यों ने वेब पोर्टल शुरू किया है लेकिन सेंट्रल पोर्टल की दरकार है।


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